पृथ्वी देती रही...और इंसान छीनता गया!!
मैं नाचती रही और वो गाता गया,
पता नहीं मोहब्बत उसकी मैं थी..... या ये थिएटर!!
काश ले आये कोई ख़ुशी की लहर ये गुड़ी पड़वा!!
वो कर रहा अपनों की हिफाज़त....कुछ अपनों से नाराज़ होकर!!
#रेहम कर ईश्वर!
नियम थें....तभी तो यारों के साथ दोस्ती की मिसालें बनी!!!
मैंने बस्ता खोला है... आओ ज़रा यादें लूट लें!!
अब तेरी यादें ही इन साँसों की आवाज़ है!
कवितायेँ हर दिल की कलम है....
न जाने वो आँखों का पानी था...या गुज़री यादों का सैलाब!!