“
कोई इंसान तन्हाई में भी तन्हा नही रहता
यांदो के बसेरों में मैं बस तेरे साथ होने कि ख्वाब बुनता
मैं तेरी यांदों में बस रोता ही रहता
तुम्हारे बगैर मेरा दिल अब भी कहीं ना लगता
मेरा बीता हुआ अतीत कभी मेरा पीछा ना छोड़ता
सर्द ए रातों में तुझे याद कर अपना तकिया भिगोंता
राजेश बनारसी बाबू
”