“
सब ने कब का छोड़ दिया मेरे हाल पर
अब तो बाकी है तेरे ख़त और मेरे हाथ
आज भी लगता है जैसे कल की ही बात हो
हाय वो पल, तेरे गेसू और मेरे गुलाब
उम्मीदों से उम्मीद छुड़वाई गई जबरन, कैसा बचपना,
खतों को निकालकर रोज पूछते है कहो कैसे हो जनाब
#शर्माजी के शब्द
”