हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Tragedy

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Tragedy

छिनाल

छिनाल

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"मैं कल से देख रही हूं कि तू जब से छतरपुर से आया है तब से चुप चुप सा है । कोई बात हुई है क्या वहां" ? राहुल की मां सीमा ने राहुल से चाय का कप पकड़ाते हुए पूछा । "ऐसी तो कोई बात नहीं है मां" । राहुल ने धीरे से कहा 

"तो फिर क्या बात है ? तू ऐसे चुप चुप तो नहीं रहता है । जब से शादी में से आया है तब से ऐसे ही गुमसुम सा है । आज सुबह ऑफिस जाते समय भी तेरा मुंह लटका हुआ था और जब ऑफिस से वापस आया है तब भी तेरा मुंह लटका हुआ है । कोई ऑफिस की प्रॉब्लम है क्या" ? सीमा ने राहुल का हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा । 

"ऑफिस में भला क्या प्रॉब्लम होगी, मां ? मेरे पास प्रॉब्लम वाला काम है ही नहीं" 

"इसका मतलब है कि छतरपुर से ही प्रॉब्लम लेकर आया है । कोई झगड़ा वगड़ा हुआ था क्या शादी में ? लड़के वालों ने कुछ कह दिया था क्या" ? सीमा की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी । 

"आजकल लड़के वाले झगड़ा करते हैं क्या मां ? लड़कियां बारात लेकर आती हैं और लड़के वाले सारा इंतजाम करते है । अब तो लड़की वाले मुंह बिचकाते हैं व्यवस्थाओं पर । पर वहां ऐसी कोई बात नहीं हुई । शादी बड़ी धूमधाम से हुई थी और दोनों ही पक्षों ने खूब मजे किये थे" । राहुल थोड़ा नॉर्मल होने का प्रयास कर रहा था ।

"फिर क्या बात है ? कुछ तो हुआ है जिससे तेरा चेहरा उतरा हुआ है । बता ना कि बात क्या है ? अपने दिल में क्यों रखता है ? बताने से बोझ थोड़ा कम हो जाता है । चल, अब जल्दी बता" । 


"वो , शादी में बुआ जी मिली थीं" 

"कौन सी ? कासगंज वाली या कानपुर वाली" ? 

"मिली तो दोनों ही थीं । पर बात कासगंज वाली बुआ से ही हो पाई थी" 

"हां, उनकी आदत भी बहुत है तेरी मेरी करने की । जब देखो तब मेरी बुराई करती रहती हैं । मेरे बारे में कुछ कह दिया था क्या उन्होंने ? उनकी बात पर क्या ध्यान देना ? वो तो कहती ही रहती हैं हमेशा" । सीमा ने नाक सिकोड़ते हुए कहा । 

"नहीं मां, वो बात नहीं है । वो तो आपके कसीदे काढ़े जा रही थीं मेरे सामने । भाभी इतनी अच्छी हैं , हमारा बहुत सम्मान करती हैं । वगैरह वगैरह" 

"तो फिर क्या बात है ? अब मेरे पेट में दर्द होने लगा है । जल्दी बता नहीं तो मेरी तबीयत खराब हो जायेगी" । सीमा ने राहुल के दोनों हाथ पकड़ते हुए कहा । 


राहुल एक मिनट के लिए खामोश रहा । फिर एक गहरी सांस लेकर बोला "बुआ कह रही थी कि पारुल मिली थी उन्हें एक दिन" ऐसा कहकर राहुल ने सीमा के चेहरे के भाव जानने के लिए उसकी ओर देखा । पारुल का नाम सुनकर सीमा का चेहरा कठोर हो गया था जैसे किसी ने अपने सबसे बड़े दुश्मन का नाम ले लिया हो । सीमा के ऐसे भाव देखकर राहुल बोला 

"मैं इसीलिए ये बात बताना नहीं चाहता था" ।

"आगे बता" । सीमा ने कठोरता से आदेश दे दिया । 

"रहने दो न मां , गढ़े मुर्दे क्यों उखाड़ना चाहती हो" ? राहुल टालने के लिए बोला 

"नहीं, मैं भी तो जानूं कि वह "छिनाल" क्या चाहती है" ? 

"मां, आखिर बड़ी बहन है वह मेरी । आपकी पहली बेटी है । उसे छिनाल तो मत कहो मां" । राहुल ने विनीत भाव से कहा । 

"क्या कहा , छिनाल नहीं कहूं उसे ? अरे, अगर मेरा वश चले तो मैं उसे बीच चौराहे पर नंगी करके उसकी चमड़ी उधेड़ लूं । और तू बात कहता है कि उसे छिनाल नहीं कहूं" ? सीमा की आंखों से चिंगारियां और मुंह से आग निकल रही थी । राहुल को जिस बात का डर था, वही बात हो रही थी । 


राहुल आज से 32-33 साल पहले के युग में चला गया । एक दिन शाम को वह बाजार से वापस घर आ रहा था । रात का धुंधलका हो गया था और लाइट भी चली गई थी । चारों ओर घुप अंधेरा था । अपने मकान के पास वाली गली में उसे दो आकृतियां लहराती सी मिली थीं । वह दबे पांव उस ओर चला गया । जब वह उनके नजदीक गया तो उसके पैरों तले की जमीन खिसक गई । उसकी बड़ी बहन पारुल किसी लड़के की बांहों में समाई हुई थी और वे दोनों "किस" करने में व्यस्त थे । राहुल के मुंह से बेसाख्ता निकल गया "जीजी" ! 

राहुल की आवाज सुनकर वह लड़का पारुल को धक्का देकर नौ दो ग्यारह हो गया । पारुल उस धक्के के लिए तैयार नहीं थी इसलिए वह लड़खड़ाकर गिर पड़ी । राहुल ने उसे हाथ पकड़कर उठाया तो वह राहुल के पैरों में लोट गई । 

"राहुल, ये बात घर पर मत बताना । देख, तू मेरा छोटा भाई है ना ! अपनी बड़ी बहन की इतनी सी बात भी नहीं मानेगा क्या" ? पारुल रोने का नाटक करने लगी । राहुल बिना कुछ बोले वहां से आ गया । 

एक दिन वह उहापोह में डूबा रहा लेकिन उसने अगले ही दिन अपनी मां को सारी बात बता दी । घर में भूचाल आना ही था , सो आ गया । 

सीमा ने खूब पिटाई की थी पारुल की । पारुल भी बेशर्मी के साथ पिटती रही और रोती रही मगर बोली कुछ नहीं । सीमा ने उसे झिंझोड़ते हुए कहा ।"कौन था वो लड़का" ? 

"..." 

"बोलती क्यों नहीं है तू" ? पारुल के गाल पर एक चांटा जड़ते हुए कहा था सीमा ने । मगर उसका पारुल पर कोई असर नहीं हुआ । 

"कितनी बेहया है तू ? और कोई होती तो अब तक शर्म से चुल्लू भर पानी में डूब मरती" ! सीमा का गुस्सा सातवें आसमान पर था । 

पारुल फिर भी खामोश रही । इस पर सीमा और भड़क गई । वह बाथरूम से कपड़े कूटने का डंडा उठा लाई और उस डंडे से पारुल पर ताबड़तोड़ वार करने लगी । राहुल के पापा घनश्याम भी आ गये थे वहां पर लेकिन वे सीमा को शांत कराने में ही लगे रहे । पारुल पर डंडे चलते देखकर उनका दिल पसीज गया । उन्होंने सीमा के हाथ से वह डंडा ले लिया और दूर फेंक दिया । पारुल फर्श पर पड़ी पड़ी सुबक रही थी । 

"कौन था वह ? एक बार नाम बता दे बेटा उसका , फिर देख क्या गत बनाते हैं उसकी" ? घनश्याम ने पहली बार मुंह खोला । लेकिन पारुल का प्यार एकदम सच्चा था । इतनी पिटाई के बाद भी उसने मुंह नहीं खोला । थक हार कर सीमा वहीं बैठ गई और जोर जोर से रोने लगी । जब चीजें अपने हाथ से निकल जाती हैं तो इंसान रोने के अलावा और कुछ नहीं कर सकता है । सीमा भी असहाय होकर रोने लगी । घनश्याम ने उसे चुप कराने की बहुत कोशिश की मगर वह कामयाब नहीं हुआ । राहुल अपनी बड़ी बहन पारुल को लेकर दूसरे कमरे में चला गया । उसे दुख भी हो रहा था कि उसने पारुल की वह बात घर में क्यों बताई ? और खुद को संतुष्ट भी कर रहा था कि इतनी महत्वपूर्ण बात को छुपाना भी ठीक नहीं था । उसे यह भी ज्ञात था कि इसके पश्चात उनके घर में तूफान आना निश्चित था । और वह तूफान आ भी गया था । पर यह तूफान क्या क्या नष्ट करके जायेगा, यह उसे अभी भी पता नहीं था । 


दो तीन दिन बीत गये । सब घरवालों की लाख कोशिशों के बाद भी पारुल ने उस लड़के का नाम नहीं बताया । एक दिन सीमा ने पारुल से कह दिया 

"देख पारुल, तू यदि उस लड़के का नाम नहीं बतायेगी तो हमें कैसे पता चलेगा ? यदि तू नाम बता देगी तो हो सकता है कि हम तेरी शादी उसी लड़के से कर दें ! और यदि तू उसका नाम नहीं बतायेगी तो फिर तेरी शादी किसी और लड़के से कर दी जायेगी । शादी तो करनी ही है तेरी । अब तू 22-23 साल की हो गई है । इसी साल करूंगी तेरी शादी । अब आगे तेरी इच्छा" । 

सीमा खड़ी होकर जाने लगी तो पारुल ने उसका हाथ पकड़ लिया और आशा भरी नजरों से उसे देखा । सीमा उसकी आंखों की भाषा समझ गई थी । वह फिर से बैठ गई और पारुल के सिर पर हाथ फेरने लगी । पारुल ने भी अपनी मां की गोदी में सिर रख लिया और फूट फूटकर रोने लगी । 

"तू उससे प्रेम करती है" ? सीमा ने पूछा तो पारुल ने हां में गर्दन हिला दी । 

"उससे शादी करना चाहती है" ? 

पारुल ने फिर से हां में गर्दन हिला दी । 

"तो फिर नाम क्यों नहीं बताना चाहती है उसका" ? 

पारुल फिर चुप रही । 

"देख बेटा, तू नाम नहीं बतायेगी तो तेरी शादी कैसे करेंगे उससे ? मैं तुझे वचन देती हूं कि मैं तेरी शादी उससे करा दूंगी । अब तो खुश" ? सीमा ने पारुल की आंखों में झांकते हुए कहा । 


पारुल को अपनी मां की बातों पर विश्वास हो गया । उसके होठों पर हलकी सी मुस्कान आ गई । सीमा ने उसके आंसू पोंछे और अपने अंक में भरते हुए कहा "अब तो नाम बता दे उसका" ? 

थोड़ी देर सोचने के बाद पारुल ने अपनी मां की आंखों में झांका । वहां उसे कोई छल कपट नजर नहीं आया । फिर भी वह पूर्ण आश्वस्त होना चाहती थी इसलिए वह बोली 

"आपने कहा था कि आप उससे मेरी शादी करा दोगी । मेरे सिर पर हाथ रखकर यह बात कहो तो मैं उसका नाम बताऊंगी नहीं तो नहीं बताऊंगी" पारुल दृढ़तापूर्वक बोली 


सीमा ने कुछ सोचते हुए कहा "वह क्या करता है" ? 

"टीचर है" 

"प्राइवेट स्कूल में या सरकारी में" ? 

"सरकारी में" 

"कितने साल का है" ? 

"25-26 का होगा" 

"अपनी ही जाति का है" ? 

इस पर पारुल चुप हो गई । सीमा ने भी अपने बाल धूप में सफेद नहीं किये थे । वह भी 45 साल की थी । सब समझती थी । समझ गई कि लड़का विजातीय है । 

"ठीक है । किसी भी जात का हो, कोई फर्क नहीं पड़ता है । मैं तेरे सिर पर हाथ रखकर कहती हूं कि मैं तेरी शादी उससे करा दूंगी । अब तो खुश" ? 

"ओह मां , तुम कितनी अच्छी हो । लेकिन क्या पापा मान जायेंगे" ? 

"उनको मैं मना लूंगी । पर एक शर्त है । जब तक तेरा रिश्ता उससे पक्का नहीं हो जाता है, तब तक तू उससे नहीं मिलेगी । बोल, है मंजूर" ? सीमा ने प्रश्न वाचक निगाहों से पारुल को देखा । 

पारुल का रोम रोम खिल उठा । वह सीमी की गोद में छुप गई । उसके अंग अंग से स्वीकृति झलक रही थी । सीमा ने भी अपने वादे के अनुसार घनश्याम को उस लड़के से रिश्ता करने के लिए मना लिया । और इस तरह पारुल की शादी विवेक से हो गई । 


विवेक बहुत सज्जन, मिलनसार, होनहार और आज्ञाकारी लड़का था । पारुल के घरवाले ऐसा दामाद पाकर निहाल हो गये थे । सीमा तो पारुल को उसकी पसंद के लिए न जाने कितनी बार बधाई दे चुकी थी । विवेक के घरवाले भी बहुत सज्जन निकले । ईश्वर की जब कृपा होती है तो सब कुछ अच्छा ही अच्छा होता है । पारुल की शादी को एक वर्ष से अधिक का समय हो गया था । 


एक दिन अचानक सुबह सुबह विवेक को अपने घर देखकर सीमा और घनश्याम चौंक गये । बिना सूचना के दामाद का आना और अपने साथ पारुल को नहीं लाना कौतुहल से अधिक चिंता का विषय हो गया था । फिर विवेक की मुद्रा भी गंभीर थी । 

"क्या बात है कुंवर साहब ? आज सवेरे-सवेरे कैसे आना हुआ ? घर पर सब कुशल मंगल तो है ना ? पारुल को अपने साथ क्यों नहीं लाये" ? सीमा ने एक साथ अनेक सवाल पूछ डाले 

"सब सकुशल नहीं है मम्मी ! पारुल अस्पताल में है" । गंभीर मुद्रा में विवेक ने कहा 

"क्यों , क्या हो गया मेरी पारुल को" ? सीमा चिंतित होकर बोली 

"उसने बिना किसी को बताये , एबॉर्शन करवा लिया" । 

"क्या ..." ? सीमा और घनश्याम लगभग चीख पड़े थे । 

"हां, कल ही एबॉर्शन करवाया है उसने । हमसे तो बाजार जाने की कहकर गई थी । अपनी किसी सहेली के साथ जाकर उसने यह कृत्य कर लिया । वह अभी अस्पताल में ही है । कल छुट्टी मिलेगी उसे । सब लोग बहुत परेशान हैं । मां ने आप दोनों को बुलवाया है । मैं गाड़ी लाया हूं, मेरे साथ चलो" । 

इस समाचार से सीमा और घनश्याम दोनों अवाक् रह गए थे । कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या करें ? दोनों जने विवेक के साथ उसके घर आ गये । 

विवेक के घर पर सभी लोग आक्रोशित थे । परिवार का पहला बच्चा था । किसी को पता नहीं था कि पारुल गर्भवती थी । पता नहीं वह कब प्रिगनेंसी टेस्ट करवा आई और कब एबॉर्शन ? जब एबॉर्शन हो चुका तब बताया था उसने । सब लोगों का नाराज होना स्वाभाविक ही था । विवेक का तो मुंह ही लटक गया था । पर कोई करे भी तो क्या ? अब वह बच्चा वापस तो आ नहीं सकता था । 


पारुल के इस निर्णय और व्यवहार पर सीमा और घनश्याम बहुत शर्मिंदा हुए लेकिन वे भी क्या कर सकते थे । सीमा ने पारुल को खूब डांट पिलाई लेकिन पारुल को अपने कृत्य पर कोई पछतावा नहीं था । सीमा पारुल को अपने साथ लिवा लाई । एक महीना रही थी पारुल वहां पर । इस एक महीने में सीमा ने बहुत कुछ सीख देने की कोशिश की थी लेकिन पारुल ने साफ कह दिया कि उसने कोई गलत काम नहीं किया था । वह अभी मां बनना नहीं चाहती थी इसलिए उसने वह बच्चा गिरा दिया था । उसकी बात कोई मानता नहीं इसलिए उसने किसी को भी नहीं बताया था । 

"अब ऐसी गलती दुबारा मत करना । नहीं तो तेरा जीवन बरबाद हो जायेगा । बच्चा केवल मां का ही नहीं होता है, बाप का भी होता है । कम से कम कुंवर साहब से तो बात करती" ? 

लेकिन पारुल बेशर्मों की तरह हंसती रह गई । एक दिन विवेक आकर उसे ले गये । उस घटना के लगभग साल भर बाद सबसे बड़ी खुशखबरी आ गई । पारुल फिर से पेट से हो गई थी । इस बार उसने पहले वाली बेवकूफी नहीं की थी । दोनों परिवारों में खुशियों की बहार आ गई । पारुल का विशेष ध्यान रखा जाने लगा । सीमा ने थोड़े दिन के लिए पारुल को अपने पास बुलवा लिया । 


सीमा को लगने लगा कि पारुल को अपने बच्चे से कोई खास लगाव नहीं था । वह कभी उसके बारे में बात नहीं करती थी । उसे रोमांटिक मूवी देखने का बहुत शौक था । रोमांटिक उपन्यास भी बहुत शौक से पढती थी वह । सीमा उसके लिए "बच्चे की परवरिश कैसे करें" एक किताब ले आई थी लेकिन उसने उस किताब को खोलकर भी नहीं देखा था । उसके इस व्यवहार से सीमा अचंभित हो गई थी । 

एक दिन समाचार आया कि पारुल ने एक प्यारी सी गुड़िया को जन्म दिया है ।सब लोग दौड़े दौड़े पारुल के पास पहुंचे । पारुल तब तक 25 साल की हो चुकी थी । वह गुड़िया को पाकर खुश नहीं लग रही थी । सीमा उसके इस व्यवहार को समझ नहीं पा रही थी । पहला बच्चा तो सबको प्यारा लगता है , फिर वह चाहे लड़की हो या लड़का । लेकिन पारुल को गुड़िया में कोई विशेष दिलचस्पी नहीं थी । वह गुड़िया के प्रति उदासीन रहती थी । पारुल की छोटी बहन सरला अब 16 साल की हो गई थी । उसे गुड़िया बहुत प्यारी लगती थी । सरला एक तरह से गुड़िया की मां का काम बड़े प्रेम से करने लगी थी । सीमा सरला को वहीं छोड़कर अपने घर वापस आ गई । 


लगभग दो महीने सरला पारुल के पास रही । उसके पश्चात वह अपने घर आ गई । सीमा ने देखा कि सरला जब से आई है गंभीर बनी हुई है । उसने सरला से पूछा तो वह कुछ नहीं बोली । लेकिन सीमा उसके पीछे पड़ गई तो सरला फट पड़ी 

"बदचलन है आपकी बेटी । शादीशुदा और एक बेटी की मां होकर भी वह पराए मर्द से चोरी चोरी मिलती है । आवारा , चरित्रहीन कहीं की" ! 

सीमा जैसे धड़ाम से आसमान से जमीन पर गिर पड़ी थी । बड़ी मुश्किल से वह इतना ही कह पाई थी 

"ये क्या बकवास कर रही है तू" ? 

"मैं बकवास नहीं कर रही हूं, सच कह रही हूं । अपनी आंखों से देखकर आ रही हूं सब कुछ । ऐसी निर्लज्ज औरत मैंने आज तक नहीं देखी है । बेहया कहीं की" ? 

सरला की बात सुनकर सीमा को चक्कर आ गये । वह वहीं पर "धम्म" से बैठ गई । 

"मैंने उसे बहुत समझाया कि क्यों अपनी जिंदगी बरबाद कर रही है पर उसके सिर पर तो इश्क का भूत सवार है अभी । मेरी कहां सुनेगी ? एक बच्ची की मां होकर किसी और से संबंध बनाते हुए लज्जा नहीं आती है उसे ! अपनी आंखों से देखा नहीं होता तो मैं भी नहीं मानती , पर मैं अब क्या करूं ? मेरा मन तो बहुत कर रहा था कि जीजाजी को बता दूं, लेकिन मेरी ही बहन है ना, उसकी जिंदगी मैं बरबाद कैसे कर सकती थी । जब एक दिन पता चलेगा तब जो होना है वह होकर ही रहेगा" । सरला पैर पटकते हुए वहां से चली गई । 


सीमा ने पारुल को अपने पास बुलवा लिया । एक दिन उसने सरला वाली बात छेड़ दी और पारुल से कहा 

"देख, हमने तेरी शादी उसी लड़के से की है जिसे तू प्यार करती थी । जिसके लिए तूने इतनी मार कुटाई सहन की थी । आज तेरा दिल किसी और पर आ गया । कल किसी और पर आ जायेगा तो तू क्या करेगी ? इस मृग मरीचिका में कब तक भटकेगी भला" ? 

"मैं क्या करूं मां , मुझे वो बहुत अच्छा लगता है । उसे भी मैं बहुत अच्छी लगती हूं । मैं इसीलिए तो बच्चा नहीं चाहती थी पर आप लोगों के दबाव में ये गुड़िया पैदा हो गई । अब आप लोग ही पालना इसे" 

"क्यों ? बेटी तेरी है या हमारी" ? 

"आपकी ! मैंने तो आप लोगों के प्रेशर में आके बस इसे पैदा किया है । अब तुम जानो या "उनकी" फैमिली जाने" ! 

"ऐसी बेहयाई वाली बातें करते हुए तुझे जरा भी शर्म नहीं आती , छिनाल कहीं की" ! सीमा की आवाज तेज हो गई थी । 

सीमा की इस बात पर पारुल बहुत जोर से हंसी "आप मुझे छिनाल कह लो, निर्लज्ज कह लो, वेश्या कह लो या कुछ और कह लो , मुझे कुछ फर्क नहीं पड़ता है । मुझे जो अच्छा लगता है , वही काम करती हूं मैं । मैं केवल अपने मन की सुनती हूं बस" 

"विवेक जी से इतनी जल्दी मन भर गया तेरा" ? 

"मूर्ख आदमी है वह । पहले मुझे पता नहीं चला था कि वह इतना बेवकूफ होगा । वो मेरा पहला पहला इश्क था । उसमें दिमाग का इस्तेमाल कहां होता है , बस दिल की आवाज ही सुनी जाती है । उस वक्त दिल विवेक के गीत गा रहा था मगर .." 

" मगर क्या" ? 

"मगर जबसे नीलेश मिले हैं तब से तो मेरी दुनिया ही बदल गई है" 

"कब से चल रहा है ये सिलसिला नीलेश के साथ" ? 

"मेरी शादी के छ: महीने बाद से । हम दोनों एक शादी में मिले थे और बस एक दूसरे के हो गये" 

"क्या उसके साथ तूने मुंह काला कर लिया है" ? 


सीमा की बात पर पारुल मुस्कुराई पर कुछ जवाब नहीं दिया । इससे सीमा और चिढ़ गई । उसने एक झन्नाटेदार थप्पड़ रसीद कर दिया पारुल के गाल पर । मगर वह बेशरम हंसती ही रही । 

"पता नहीं मेरी परवरिश में क्या कमी रह गई जो तुझ जैसी छिनाल लड़की पैदा हुई ? काश कि तू पैदा होते ही मर जाती । लोग कहते हैं कि बेटी दो कुलों को तारती है । मगर तू तो दोनों कुलों की मान मर्यादा मिट्टी में मिलायेगी । दूर हो जा मेरी नजरों से नहीं तो मेरा हाथ उठ जाएगा तुझ पर । कहते हैं कि विवाहित बेटी को मारने पर पाप लगता है पर तेरी जैसी छिनाल को मारने पर तो पुण्य लगना चाहिए" । कहते कहते सीमा पारुल पर टूट पड़ी । सरला और राहुल ने जैसे तैसे उन्हें संभाला । पारुल भी फिर अधिक दिनों तक वहां पर नहीं रुकी और अपनी ससुराल आ गई । 


एक दिन अचानक खबर आई कि पारुल अपने प्रेमी के संग भाग गई है । सीमा , सरला , राहुल, घनश्याम सब पर जैसे वज्रपात हुआ । 6 महीने की बेटी को छोड़कर भागी थी पारुल । सब लोग उसे धिक्कार रहे थे लेकिन पारुल ये सब गालियां सुनने के लिए वहां मौजूद थोड़े ही थी ? वह तो कहीं पर नीलेश के साथ गुलछर्रे उड़ा रही थी । सीमा पारुल की बेटी गुड़िया को अपने साथ ले आई और सरला ने उसे पाल पोषकर बड़ा किया । पारुल कहां गई और क्या कर रही है किसी को पता नहीं चला । पारुल ने दोनों कुलों की प्रतिष्ठा धूल धूसरित कर दी थी । सबके दिलों से पारुल की तस्वीर एकदम से साफ हो गई थी । गुड़िया की भी अब गुड़िया हो गई थी । इतने सालों बाद पारुल का नाम सुनकर सीमा फट पड़ी थी 

"नाम भी मत ले उस छिनाल का । वह हमारे लिए उसी दिन मर गई थी जिस दिन उसने अपनी ससुराल से पैर बाहर निकाले थे । ऐसी छिनाल का नाम लेना भी पाप है । जब इतने सालों तक उसने किसी से कोई संपर्क स्थापित नहीं किया तो वह अब क्यों करना चाहती है ? वह क्या लगती है हमारी ? हमारी आबरू तो पहले ही लूट ली थी उसने , अब क्या प्राण भी लूटना चाहती है ? राहुल, उसे मैसेज भेज दे कि यहां आने की जरूरत नहीं है । इस घर में छिनालों का स्वागत नहीं होता है" । सीमा फूट फूटकर रोने लगी । 


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