गली बॉय
गली बॉय
नेहा तेज क़दमों से मेन रोड से,एक छोटी गली से होते हुए अपने घर का रास्ता तय रही थी। वह बहुत डरी हुई थी क्योंकि अभी थोड़े समय पहले उसने जो कॉलेज रोड के बाहर गुंडागर्दी देखी थी उसे देख कर वह घबरा गई थी।नेहा की एक सहेली ने बताया कि डरने की कोई बात नहीं यहां तो आए दिन ऐसे झगड़े होते रहते हैं। और फिर कॉलेज में हड़ताल हो जाती है कभी हिंदू कभी मुसलमान यही तो मुद्दा चाहिए हर चुनाव को, चाहे फिर वह कॉलेज के अंदर के हो या कॉलेज के बाहर के।
इनके झगड़ा को थोड़ा -सा तूल देकर बस धर्म के ठेकेदार तैयार खड़े हैं। लड़ने के लिए अपने- अपने धर्म को बचाने के लिए जैसे वही बचा रहे हैं।नेहा इसी सोच में गली में थोड़ा आगे बढ़ी तो उसने देखा नुक्कड पर कुछ मुस्लिम लड़के खड़े हैं....... गली बॉय उसे चाची की बात याद आई.......गुंडे हैं सारा दिन गलियों में खड़े रहते हैं मुंह उठाकर।
तभी उसने ध्यान दिया उस के पीछे कोई चल रहा था।पीछे मुड़ कर देखा एक लड़का चल रहा था। नुक्कड़ पर खड़े लड़कों में से एक लड़का था।वह डर गई घर पहुंचने में अभी समय था गली बहुत ही लंबी लग रही थी इतनी.......लंबी कि खत्म होने को नहीं आ रही थी।उसने सोचा था कि वह शॉर्टकट से घर पहुंच जाएगी।जल्द से जल्द ही,लेकिन गली....थी कि लंबी हुए जा रही थी और अपने पीछे लड़के को आते देख और भी घबरा गई थी।
एक बार उसने फिर पीछे मुड़कर देखा लड़का मुस्लिम लग रहा था। उसे चाची की बात याद आई.........."यह तो गुंडे है।यह नहीं किसी के सगे होते हैं बस मौका देखते ही घात कर जाते हैं।" नेहा और तेज चलने लगी।लड़का भी लगातार उसके पीछे -पीछे चल रहा था फिर वह जल्दबाजी में अपनी गली से मिलती-जुलती किसी अलग गली में घुस गई थी और उसे समझ नहीं आ रहा था कि घर जाने के लिए जो रास्ता उसने पकड़ा था वह इतना लंबा कैसे हो गया है। तेज कदमों से लड़का भी उसके पीछे चला जा रहा था।फिर ख्याल आया अखबारों में कैसी ख़बरें आती रहती है। यहां बलात्कार वहां बलात्कार....... आज शहर में दंगे भड़के हुए हैं और यह मुस्लिम लड़का उसके पीछे -पीछे चल रहा है यह तो हिंदुओं की लड़कियों के लिए मौका ढूंढते हैं.....यहीं सब मोहल्ले के लोग कहते हैं। वह तेज क़दमों से भागे जा रहे थे तभी आगे जाती है देखती है गली बंद हो गई।
लड़का रुक गया ......और बोला,"आपने कहा जाना है।"
"लाजपत राय रोड,गली नंबर 6", नेहा ने डरी सहमी आवाज में उत्तर दिया।
"लेकिन आप तो गली नंबर 9 पर मोड गई थी,मैंने आपको देख लिया था शहर में दंगे भड़के हुए हैं।हिंदू- मुस्लिम के लिए तो आगे ही मुद्दा बना हुआ है।यह दोनों एक दुश्मन के दुश्मन बने हुए है।आपको गलत गली में जाते हुए देखा तो आपके पीछे चल पड़ा कि आप को सुरक्षित आपके घर तक पहुंचा दूँ क्योंकि अच्छे बुरे लोग हर मजहब में होते हैं।यह मुसलमानों का मोहल्ला था हो सकता था कोई बदला लेने के लिए........इसलिए मैं आपके पीछे-पीछे चला रहा था। नेहा की जान में जान आई उसने गली की तरफ इशारा किया। इस गली से आपका घर आ जाएगा।" दस कदम की दूरी पर नेहा का घर आ गया।उसने एक लंबी सांस ली।लड़के की तरफ देखा और घर के अन्दर चली गई।
" नेहा जल्दी आ गई"......माँ ने पूछा,हां....."मां शहर में आज दंगे हो रहे है।कॉलेज रोड के बाहर,बस सभी को छुट्टी कर दी।"नेहा उस लड़के के बारे में सोच रही थी कैसे हमारे दिमाग में विचार बना दिए जाते हैं कि यह अच्छा है..... यह बुरा है। पर हम बिना जाने अपना विचार बना कर बैठ जाते हैं।लेकिन अच्छे बुरे लोग तो हर मजहब में धर्म में होते हैं और किसी को बिना जाने ही उसके विषय में राये बना लेना गलत है।हर गली बॉय..... गुंडा नहीं हो जाता वह भी अपनी इंसानियत दिखा सकता है।