Chandra Prabha

Comedy

3.6  

Chandra Prabha

Comedy

हमने तो जब कलियाँ मांगी

हमने तो जब कलियाँ मांगी

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पहली लड़की की शादी थी ।ख़ूब धूम धाम थी ।बहुत लोगों को बुलाया गया था ।बढ़िया से सजाया गया था ।सब लोग इकट्ठे हुए थे। परिवार के भी सब लोग थे, सब भाई बहिन आए थे। 

लड़की के पिता की बचपन की एक सहपाठिन थी जो उनके साथ पढ़ती थी और उनकी बहिन की भी अच्छी दोस्त थी। लड़की सुन्दर थी। वे उससे कभी शादी करना चाहते थे ,पर बात आगे नहीं बढ़ सकी क्योंकि , परिवार की सहमति नहीं थी इसलिए वह शादी नहीं हो सकी थी। बात पुरानी हो चुकी थी। अब उस लड़की की भी शादी हो चुकी थी और वह अपने परिवार में प्रसन्न थी। 

बहिन शादी में आई तो अपनी उस पुरानी मित्र को भी बुलाने की सोची, और संगीत समारोह के दिन उसको भी बुला लिया। सब एकत्र हुए, ख़ुशी का माहौल था। गीत संगीत से वातावरण मधुर हो उठा था। ऐसे में लड़की के पिता से भी गाने को कहा गया। वे और उनके सभी भाई बहन अच्छा गाते थे बचपन में और सबके अपने अपने फ़ेवरेट गाने थे। बड़े होने पर सब अपने अपने काम में व्यस्त हो गए थे। 

बहुत अनुरोध करने पर एक भाई ने अपनी पसंद का गाना ‘ चंदन का पलना’ गाया, बहिन ने ‘प्रीतम आन मिलो’ गाया। अब उनके बड़े भाई अर्थात् लड़की के पिता से भी अनुरोध किया गया कि वे अपने पसंद का गाना गायें। सबके अनुरोध करने पर उन्होंने अपना प्रिय फ़िल्मी गीत गाना शुरू किया-

“हमने तो जब कलियॉं माँगी, काँटों का हार मिला,

जाने कैसे लोग थे वो ,जिनके प्यार को प्यार मिला“। 

वे गाने की ये दो लाईनें ही गा पाये थे कि रंग में भंग हो गया। यह गाना सुनते ही उनकी पत्नी तो उखड़ गईं कि ये अभी तक अपनी पुरानी गर्लफ़्रेंड को याद करते हैं। उस लड़की को शादी में भी बुला लिया ,उसे भूले नहीं है। वे बिगड़ गईं, और कहने लगीं कि “इनको यही गाना मिला था गाने को? और कोई गाना नहीं गा सकते थे? मैंने इनको कौन से दुख दे रखे हैं? जब भी ये गाना गाते हैं तो यही गाना गाते हैं। मैनें कौन से कॉंटे इनके लिए बोए हैं? हर समय मेरी बुराई करते हैं। यहाँ शादी में भी इन्हें गाने को यही गाना मिला? मैं इनका सारा ध्यान रखती हूँ ,सारा काम करती हूँ फिर भी ये यही गाना गाते हैं”। 


पत्नी तो अपने मन की भड़ास निकाल रही थीं पर सुनने वाले हँसी से लोट पोट हो रहे थे कि इस गाने में ऐसी क्या बात थी कि पत्नी भड़क गईं ,रूठ गईं। 

पत्नी की झल्लाहट देखते ही बनती थी । एक तो वे पहले से ही चिढ़ी हुई थीं कि उनके पति की उस पुरानी मित्र को क्यों बुलाया गया, जिससे वे कभी शादी करना चाहते थे। हालाँकि उसकी शादी हो चुकी थी। किसी तरह वे चुप लगा गयी थीं पर यह गाना सुनते ही भड़क उठीं। उन्हें बड़ी मुश्किल से समझाया गया। सबके लिए यह हँसी की बात बन गयी।

इतने वर्षों बाद भी पत्नी को उस लड़की से जलन थी! पत्नी अभी भी उस पुरानी बात को पकड़े बैठी थीं यद्यपि उनका वैवाहिक जीवन पूर्णतया सुखी था और उनके पति उनका पूरा ध्यान रखते थे। पर ईर्ष्या की अग्नि कभी शांत नहीं होती। इसके लिए समझदारी चाहिए। केवल शब्दों को नहीं पकड़ना चाहिए। 

बहिन भी अवाक् थीं। उन्हें इस तरह की प्रतिक्रिया की उम्मीद नहीं थी। नहीं तो वे अपनी सहेली को यहाँ नहीं बुलातीं। शब्दों की बड़ी महिमा है,किसी समय जो गाने दिल को छू जाते हैं ,जिनकी लय पसन्द आ जाती है, वे ही हर समय गाए जाते हैं।


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