V. Aaradhyaa

Children Stories Classics Inspirational

4  

V. Aaradhyaa

Children Stories Classics Inspirational

इंडिपेंडेंस इस इम्पोर्टेन्ट

इंडिपेंडेंस इस इम्पोर्टेन्ट

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"आज तो नैना बहुत ख़ुश थी

और ख़ुशी की वज़ह भी बेहद खास थी।

"मम्मी ! आज आपको जल्दी उठने की ज़रूरत नहीं। मैंने आपकी तरह ही चाय बनाने की कोशिश की है और अदरक भी कूटकर डाला है ! "

निक्की ने नैना की आँख खुलते देखकर कहा।

दरअसल कल से ही नैना के सिर में बहुत तेज दर्द था। कल शाम को ज़ब बाजार से आई तबसे हल्का बुखार भी था।

नवीन भी टूर पर मुंबई गया हुआ था। उसको नैना ने फोन पर बताया तो उसने बीमारी को ज़्यादा तूल ना देते हुए उसे आराम करने को कहा। पर... उसने ये नहीं सोचा कि अभी तो रात का खाना बनाना था और निक्की का होमवर्क प्रोजेक्ट भी करवाना था, पिंकू और निक्की का यूनिफार्म आयरन करना था,तो वह अभी आराम कैसे कर सकती थी?

खैर... किसी तरह खाना निपटाया और निक्की व पिंकू को खाना खाने के लिए बुलाने गई तो उसे यह देखकर बहुत ख़ुशी हुई कि पिंकू निक्की के प्रोजेक्ट बनाने में उसकी सहायता कर रहा था। उसे देखते ही दोनों बच्चे चहककर बोल पड़े,

"मम्मी ! देखो हमने कितना अच्छा प्रोजेक्ट बनाया है !"

आज बुखार से ज़र्ज़र शरीर से नैना ने किसी तरह खाना बनाया था। ऐसे में बच्चों ने ज़ब अपने स्कूल का काम खुद कर लिया तो उसे बड़ी राहत महसूस हुई।ज़ब बच्चों के स्कूल यूनिफार्म को आयरनकरने लगी तो इतने में निक्की ने डाइनिंग टेबल से बर्तन उठाकर किचन के सिंक में रख दिए और पिंकू अपने स्कूल के जूते में धुले हुए मोज़े रखने लगा ताकि सुबह आसानी से मिल जाए।

यह उसके पापा ने सिखाया था। अक्सर नवीन दोनों बच्चों को आत्मनिर्भर बनना सिखाता रहता था।अक्सर रविवार या छुट्टी के दिन नवीन नैना को रसोई से छुट्टी दिला देता और बच्चों के साथ मिलकर कुछ स्पेशल बनाता था। बच्चे भी उसके साथ खुशी से दौड़ भागकर काम करते और शाम को नवीन उन्हें शाबाशी देने और आगे और अच्छा काम करने के लिए प्रोत्साहित करने को सबको आइसक्रीम खिलाने ले जाता था।

एक दिन तो नैना ने उसे प्यार से झिड़कते हुए कह दिया था,"अभी दोनों बच्चे इतने छोटे हैं। निक्की कुल मिलाकर दस साल की है और पिंकू आठ साल का। अब इतने छोटे बच्चों से क्या काम करवाना। अभी तो इनके दूध के दाँत भी ठीक से नहीं टूटे !"

तब नवीन नैना के गाल बड़े प्यार से थपथपाते हुए कहता,

"यह सब हम आपके लिए ही तो कर रहे हैं मैडम ! अगर बच्चे अपना काम खुद कर लिया करेंगे तो हमारी बेगम को कुछ समय मिल जाया करेगा इस नाचीज़ के लिए। थोड़ा हम भी रोमांस कर लिया करेंगे !"

सुनकर दो बच्चों की माँ होने के बावज़ूद भी नैना शरमा जाती और उसके गाल रत्नार हो जाते। वह पति के प्रेम से अभिभूत होकर नवीन के गले लग जाती तो नवीन उसके पीठ पर हाथ फेरते हुए कहता,

"देखो, नैना ! हम दोनों ने घर से दूर यहाँ अपनी दुनियाँ बसाई है। खैर, तुम्हारे सिर पर तो माता पिता का आशीर्वाद है पर मेरे माता पिता तो बचपन में ही गुजर गए थे। मेरे चाचा चाची ने ही मेरी परवरिश की है। इसलिए मैं छोटी उम्र से ही आत्मनिर्भर बन गया। और देखो... उससे मुझे तो ज़िन्दगी में आगे बढ़ने, खुद को स्थापित करने में मदद मिली ही। तुम्हें भी एक समझदार और कोआपरेटिव हस्बैंड मिला !"

इस बात पर नैना बड़े प्यार से नवीन का हाथ पकड़कर बोली,"सच में... आप बहुत ज़्यादा काम करते हैं। जॉब करते हुए घर के कामों में भी मेरी कितनी मदद कराते हैं !"

"बात ज़्यादा या कम काम करने की नहीं है। बात है अपनी उम्र और क्षमता के अनुसार काम करना। जैसे निक्की चाय बना सकती है पर पूरी रसोई नहीं संभाल सकती है। पिंकू अपने रोज़ के कपड़े तह करके रख सकता है, रज़ाई या कंबल नहीं। ऐसे ही बच्चों से श्रमदान लेते रहना चाहिए। इससे वह ज़िम्मेदार बनते हैं और शारीरिक रुप से चुस्त भी रहते हैं। और दूसरों की मदद भी हो जाती है !"

नवीन गंभीर होकर बोला था।वैसे,नवीन की बातें बिलकुल सही थी और अनुकरणीय भी। तबसे वह भी बच्चों को अपने काम खुद करने को उत्साहित करने लगी।नैना अभी और कुछ देर इन्हीं सोचों में डूबी रहती कि... पिंकू और निक्की उसे सोने के लिए बुलाने आ गए।सोने गई तो थोड़ी देर बाद एक और सरप्राइज उसका इंतजार कर रहा था।निक्की एक ग्लास में उसके लिए गर्म दूध लेकर आई थी। और उसे पीने का आग्रह करते हुए बोली,

"मम्मी, आप फटाफट दूध पी लो ! मैं और पिंकू अपने दूध में बोर्नविटा मिलाकर पी लेंगे !"

तबतक रसोई में कुछ गिरने की और पिंकू के हल्के से चीखने की आवाज़ आई। सुनकर नैना दूध का ग्लास तिपाई पर रखकर दौड़कर गई तो देखा पिंकू हल्दी का ढक्कन खोलते हुए बहुत सारा हल्दी पाउडर किचन के स्लैब पर गिरा चुका था और हल्दी का डब्बा फर्श पर गिरा पड़ा था। कुछ हल्दी पिंकू के कपड़ों और चेहरे पर भी लग गया था, जिसे देखकर नैना और निक्की की हँसी छूट गई।

"मैं मम्मी के दूध में हल्दी डालने के लिए हल्दी का डब्बा निकाल रहा था !"

पिंकू ने इतनी मासूमियत से कहा कि नैना ने उसे गोद में उठा लिया।

दोनों बच्चे जिस तरह अपनी माँ का ध्यान रखने की कोशिश कर रहे थे, यह देखकर नैना कुछ पल को अपना बुखार और सिर दर्द भूल सी गई थी।

खैर... सारा काम समेटकर ज़ब नैना बिस्तर पर लेटी तो आँखें नींद से बोझिल हुई जा रही थी, पर सिरदर्द था कि सोने ही नहीं दे रहा था।

तभी... उसने अपने सिर पर नन्हें पिंकू के कोमल हाथों का स्पर्श महसूस किया। वह उसका सिर दबाने की कोशिश कर रहा था और निक्की उसके तलवे सहला रही थी।

खैर..... उनके हल्के और मुलायम हाथों से सिरदर्द तो क्या कम होना था। हाँ... बच्चे अपनी माँ को आराम देने की पूरी कोशिश कर रहे थे। नैना ने गौर किया, दोनों बच्चे उसकी तीमारदारी ऐसे कर रहे थे जैसे बीमार पड़ने पर नैना उनकी देखभाल किया करती थी।

सुबह उठकर हाथ मुँह धोया तो निक्की चाय बना लाई और अब तक दोनों बच्चे स्कूल के लिए भी लगभग तैयार हो चुके थे।

वह टिफिन बनाने गई तो दोनों बोल उठे,"मम्मी !हमने टिफिन में ब्रेड - बटर ले लिया है। आज आप सिर्फ आराम करो !"

दोनों बच्चों के स्कूल जाने के बाद महरी आई तो नैना ने उसे भी बच्चों के बारे में बताया। आज जिसका भी फोन आता नैना यह बताना नहीं भूलती कि बच्चों ने उसका कितना ध्यान रखा। सब यही कहते कि यह नैना की बेहतर परवरिश का ही परिणाम है।दोपहर को जब नवीन का फोन आया कि वह शाम की फ्लाइट से घर आ रहा है तो नैना बहुत खुश हो गई कि उसके पास इसबार नवीन को बताने के लिए बहुत सारी बातें जो थीं। वैसे इसबार वह बच्चों की शरारतों की बातें नहीं बल्कि उनकी तारीफ करनेवाली थी।सुनकर नवीन कितना खुश होगा,यह सोचकर नैना मुस्कुरा उठी।आज नैना को नवीन और अपनी परवरिश पर गर्व हो रहा था।एक तो बच्चे आत्मनिर्भर बन रहे थे।एक दुसरे के साथ काम करते हुए उनका आपसी प्यार और अंडरस्टैंडिंग भी बढ़ रहा था। और बीमारी की हालत में भी नैना को कितना आराम मिल रहा था।गृहस्थी की बगिया तभी फूलती फलती है, जब उसे सब मिलकर संवारते हैं।


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