जादुई चिराग़
जादुई चिराग़
कहीं से धुँआ आते देख छोटी सी निम्मी आश्चर्यचकित हो गई जो अपने घर के सामने बगीचे में खेल रही थी।पहले तो उसे लगा कोई कचड़ा जला रहा होगा ,पर यह धुँआ तो अलग ही तरह की खुशबू लिए उसके पास ही आते जा रहा था।निम्मी उस धुँए की खुशबू के पीछे पीछे चलती गई।चलते चलते निम्मी धुँए के पास पहुँच गई।
बगीचे में बने एक गड्ढे से वह धुँआ निकल रहा था ,निम्मी नीचे झाँककर देखी तो पता चला कि वह धुँआ तो चमकती हुई किसी चीज से निकल रहा था। उसे लगा कि शायद ये कोई जादुई चिराग हो, क्योंकि उसकी दादी एक बार कहानी सुनाते समय जादुई चिराग के बारे में बताई थी।वह डर गई कहीं चिराग से कोई जिन्न तो नहीं निकल जायेगा।
वह वहाँ से डर के मारे तेजी से भागने लगी, और धुँआ उसके पीछे पीछे आने लगा, वह मुड़कर देखी तो चिराग भी उसके पीछे पीछे दौड़ रहा था।डर के मारे वह गिर गई, चिराग़ से एक जिन्न निकलकर उसके सामने खड़ा हो गया।
उसने कहा, " बोलो मेरे आका क्या चाहिए, मैं आपकी हर इच्छा पूरी करूँगा।" निम्मी बोली "मुझे परियों वाली ड्रेस दे दो।"
जिन्न तुरंत परियों वाली सुंदर सी ड्रेस लेकर हाज़िर हो गया।
निम्मी उसे पहनकर खुशी से झूम उठी।वह दौड़ते दौड़ते घर की ओर जाने लगी ,तभी जिन्न ने उनका हाथ पकड़ लिया और कहा, "मुझे भी आपके साथ जाना है मेरे आका।"
निम्मी डर गई और चिल्लाने लगी, निम्मी की माँ ये आवाज सुनकर दौड़ती आई ,पर निम्मी तो पलंग में सोई थी, माँ समझ गई कि निम्मी कोई सपना देख रही होगी।