जागो, अभिभावक जागो !
जागो, अभिभावक जागो !
शहर के एक इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल में शिक्षकों और अभिभावकों के बीच जोरदार बहस हो रही थी।
एक अभिभावक- "आप लोग हर दूसरे-तीसरे माह बच्चों की फीस बढ़ाते जा रहे हैं, यह तो अंधेर है !"
शिक्षक- "आप हमारी मजबूरी को समझिए, दिन-प्रतिदिन महंगाई बढ़ती जा रही है, आप देख ही रहते हैं।"
दूसरा अभिभावक- "आप सही कह रहे हैं, महंगाई बढ़ रही है, लेकिन उसका यह मतलब नहीं कि उसका नाजायज फायदा उठाया जाय। आपने तो हद कर रखी है। हर दूसरे-तीसरे माह आप दो-दो हजार रूपये फीस बढ़ाते जा रहे हैं।"
इसी समय प्रधानाचार्य का आगमन होता है- "क्या हद कर रखी है। व्हाट डू यू मीन ? बिना समझे आप बहस कर रहे हैं। पिछले माह पेट्रोल की कीमत बढ़ने के कारण हमने फीस बढ़ाई। इस माह परीक्षा शुल्क के कारण फीस बढ़ी है। बात को समझिए, बेकार में बहस मत कीजिये।"
तीसरा अभिभावक- "तीन माह पहले आपने पच्चीस हजार रूपये किस बात के लिए थे ?"
प्रधानाचार्य- "वो एडमिशन शुल्क था, साल में एक बार लिया जाता है।"
पहला अभिभावक- "शिक्षण शुल्क क्या कम है, जो हर माह फीस बढ़ाते जा रहे हैं !"
प्रधानाचार्य- "आप ही बताइये। फिफ्टी थाउजेंड में क्या होता है आजकल ! स्टाफ से लेकर सबको देखना है। नहीं पढ़ाना बच्चे को तो, आप ले जाइये। बेकार में बहस मत कीजिये। (चपरासी से) राकेश, तुम स्कूल का गेट बंद करवा दो। कहाँ से आ जाते हैं !
प्रधानाचार्य झल्लाते हुए अपने आफिस की ओर कदम बढ़ाते हैं और अभिभावक उदास होकर घर लौट आते हैं।
एक महीने बाद विद्यालय में जिलाधिकारी का छापा पड़ता है और उनके द्वारा पूरे विद्यालय को सील कर दिया जाता है। पत्रकारों के पूछने पर कि आपने यह कार्यवाही क्योंकि, तब जिलाधिकारी जवाब देते हैं- "कई दिनों से विद्यालय के संबंध में जनता द्वारा शिकायतें की जा रही थीं। जांच में कई गंभीर मामले सामने आये हैं। न सिर्फ वित्तीय अनियमितताएं सामने आईं हैं, बल्कि प्रधानाचार्य समेत चार शिक्षकों के शैक्षिक प्रमाण-पत्र भी फर्जी पाये गये हैं। साथ ही सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि विद्यालय को विभाग की मान्यता तक प्राप्त नहीं है।"
पत्रकार- "विगत चार सालों से यह विद्यालय यहाँ पर संचालित हो रहा है। इसके लिए आप किसे दोषी मानते हैं ?"
जिलाधिकारी- "देखिए, विद्यालय के संदर्भ में अभिभावकों और शिक्षा विभाग के अधिकारियों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। अभिभावकों को बिना सोचे-समझे अपने बच्चों को किसी भी नये विद्यालय में प्रवेश नहीं दिलाना चाहिए। यह बच्चों के भविष्य का सवाल है। इस मामले में विभाग के अधिकारियों की लापरवाही भी सामने आ रही है। उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जा रही है, लेकिन अभिभावकों का जागरूक होना बहुत जरूरी है। इस मामले में अभिभावक देर से ही सही लेकिन सामने आये हैं। इसलिए हम उनके शुक्रगुजार हैं।"