कन्या पूजन

कन्या पूजन

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"बहू ये इतनी सारी आईसक्रीम और केले ? कोई प्रोग्राम....."

"माँजी ये अष्टमी पूजन में कन्याओं को देना है.... मैं सबको बुला आई हूँ, बस कन्याएँ आती ही होंगी....।

"अष्टमी पूजन में तो हलवा पूरी देते हैं फिर ये आइसक्रीम क्यों....?"

"माँजी जितनी भी छोटी बच्चियाँ अपने घर आती हैं, उन सबके हाथों में एक थैली होती है। जिसमें वे प्रसाद में मिली पूरी- हलवा रखती जाती हैं। दोपहर तक ही 10- 12 घरों में घूमने के बाद उनके पास करीब 20- 30 पूरियाँ हो जाती हैं। जिन्हें वे खा भी नहीं पातीं।"

"हाँ, छोटी बच्चियाँ 2- 4 पूरियों से अधिक कैसे खाएँगी ?"

"पिछली बार पड़ोसन नजर बचा कर बची पूरियों को कचरे के डब्बे में डाल रही थी....... और वो छोटी भाभी की दो बेटियाँ हैं। उनके घर इतनी पूरियाँ आ जाती हैं कि सबके खाने के बाद भी बच जाती हैं।

"हाँ आजकल गाएँ भी कहाँ हैं ?...... और गर्मी में बचा खाना खराब हो जाता है।"

"इसीलिए तो......अच्छा है कि बच्चों को वह दो जिसे वे खुश होकर खाएँ। बस प्रसाद के लिए थोड़ा सा हलवा बना लिया है। सभी बच्चों को प्रसाद खाने के बाद एक आइसक्रीम और केला देकर दक्षिणा दे देंगे।"

"लो आ गई कंजकें भी...."

कन्या पूजन सम्पन्न करने के बाद सभी कन्याओं ने प्रसाद खाया। फिर वहीं बैठकर खुश होकर आईसक्रीम खाई और केला तथा पैसे थैली में रख लिए।

कुछ अलग तथा मनपसंद चीज खाने से जाते समय सभी बच्चों के चेहरे खिले हुए थे।


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