नया मोहल्ला
नया मोहल्ला
बेटी की रुखसती हुए अभी 6 महीने ही हुए थे। पूरे रीत-रिवाज ,लेना-देना, बढ़िया आवभगत की थी बारातियों की,अपनी चादर से बाहर हो कर खूब खर्च हिना की शादी पर। बेटी को तलाक देकर आज दरवाज़े पर छोड़ गया उनका लालची दामाद। रो-रो कर बुरा हाल था माँ -बेटी का। हिना अपनी किस्मत को रो रही थी और मरियम से उसकी हालत देखी नहीं जा रही थी। जैसे-तैसे दोनों रोते -रोते एक दूजे से लिपट कर सो गयीं।
सुबह-सुबह दूध वाले के जोर-जोर से दरवाजे पीटने पर मरियम की आँख खुली। साथ में ही बिस्तर पर बेटी को सोता देख मरियम को अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं हुआ और बीती रात के बारे में सब याद आते ही वह फिर से सुबकने लगी। पतीला लेकर दूध वाले को दरवाजा खोलने गयी।
"बिटिया कैसी है,सब बढ़िया है न खाला?" - दूध वाले ने पूछा। उसकी किसी भी बात का जवाब न देकर दरवाजा बंद कर मरियम कमरे में गयी और प्यार से हिना को चाय के लिए उठाया।
हिना ने अभी चाय का कप पकड़ा ही था कि दरवाजे पर जोर-जोर से कुण्डी खटकने लगी।
"अरे कौन है भाई ? आ रही हूँ। जरा साँस तो लो।" कहते हुए मरियम दरवाजे की ओर लपकी।सामने बटुउन खाला थीं।
"अरे मरियम तुमने बताया नहीं हिना को तलाक़ हो गयी। सारा मोहल्ला बातें कर रहा है। क्या हुआ ? बताओ तो। ऐसे कैसे तलाक दे दी उस कमज़र्फ ने। इतनी काबिल है तुम्हारी बेटी तो। अब क्या करोगी तलाक याफ्ता बेटी को कोई रिश्ता नहीं मिलेगा। बड़ा ही जुल्म हुआ हिना बिटिया के साथ।"
बटुउन खाला लगातार बोलती जा रहीं थीं और देखते ही देखते मोहल्ले की कई खातून बरामदे में जमा हो गयीं। सब कुछ न कुछ बातें बना रहीं थीं तो कुछ अफ़सोस जाहिर करने पहुंचीं थीं।खैर, काफी समय बाद सब औरतें अपने घरों को लौट गयीं। हिना ने मरियम को खाना खिलाया और एक-दूसरे को ढाँढस बँधाया।
वक्त तेज़ी से निकल रहा था। मोहल्ले वालों ने हिना के बारे में पूछ-पूछ कर मरियम का जीना दूभर कर दिया था। हिना का मोहल्ले से निकलना भारी था। लोगों के तल्ख़ जुमलों से दोनों परेशान हो गयीं थीं। अगर बेटी का निकाह न हो तो, निकाह हो जाए तो ,बेटी अपने वालिदैन के यहाँ थोड़े दिन रुक जाए तो, बच्चा न हो तो ,तलाक़ हो जाए तो...पूरे जहान में बेचैनी छा जाती है। कमज़र्फ लालची और नाशुक्रे आदमी का खामियाज़ा लड़कियों को क्यों भुगतना पड़ता है। यही सब सोचते हुए मरियम की आँख लग गयी।
सुबह उठते ही मरियम ने हिना से कहा कि हम ये मोहल्ला छोड़ कर कहीं दूर रहने चलते हैं जहाँ सकूँ से जी सकें। दो-चार दिन में ही दोनों माँ-बेटी अपना सारा सामान बाँध दूर नए मोहल्ले में रहने आ गयीं।
नये मोहल्ले में नए लोग। फिर भी जवान बेटी को मरियम के साथ आता-जाता देख मोहल्ले की कई औरतें ताकती थीं। आखिर पड़ोस की बड़ी बी ने पूछ ही लिया-" बेटी का निकाह नहीं किया अब तक या तलाक़ वगैरह हो गयी है ?"
इससे पहले कि बातें बनें या लोग यहाँ भी हिना और उसका आना जाना दुश्वार कर दें मरियम ने ऊंचीं आवाज़ में ज़वाब दिया -"बड़ी बी मेरी बेटी बेवा है"।
इतना सुनते ही हज़ारों सवाल जुबान व आँखों में लिए बड़ी बी के आस-पास खड़ी औरतें नौ-दो ग्यारह हो गयीं।
हिना ने मरियम को हैरानी से देखा। हिना और मरियम का मन भी इस नए मोहल्ले में लग गया था।अब उन्हें इधर-उधर भटकते हुए मोहल्ले बदलने और उनके सवालों के जवाब देने की की जरुरत नहीं थी।इस समाज में बेवा के लिए इतने सवाल शायद नहीं थे जितने तलाकयाफ्ता औरत के लिए हैं।
औरत की तस्वीरे रुख बदलते ही उसके लिए ज़िंदगी जीनी आसान हो जाती है और ये माशरा उसे साँस लेने के लिए बंद दरवाज़े आसानी से खोल देता है।