हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Comedy Crime Inspirational

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Comedy Crime Inspirational

पाकिस्तान जिंदाबाद

पाकिस्तान जिंदाबाद

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लो जी, कर्नाटक विधानसभा में पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लग गया। अजी, हम "नारा प्रिय" लोग हैं और नारों से हमको विशेष प्रेम है इसलिए नारे लगाते रहते हैं। जिसके दिल दिमाग में पाकिस्तान बसा हुआ हो, वह पाकिस्तान जिंदाबाद के ही तो नारे लगायेगा। 

नारे हमारे दिल दिमाग में बसते हैं। जिस किसी का नारा हमें पसंद आ जाये तो हम उसे "महापुरुष", "महात्मा", "देशभक्त", नेता सब कुछ बना देते हैं। स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने एक नारा दिया था "वेदों की ओर लौटो" और लोग वेदों की ओर लौट आये। तब भारत में "आर्य समाज" एक धार्मिक आंदोलन बन गया। 

स्वामी विवेकानंद जी ने एक नारा दिया था "उत्तिष्ठ, जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत" और इस नारे का कमाल था कि देश गुलामी की जंजीरें तोड़ने के लिए उठ खड़ा हुआ। लोग स्वतंत्रता आंदोलन में जुड़ते चले गये और तब तक नहीं रुके जब तक उन्होंने अंग्रेजों को उखाड़ कर फेंक नहीं दिया। 

लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने नारा दिया था "स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा"। "करो या मरो" के नारे ने महात्मा गांधी को विश्व पटल पर एक नेता के रूप में स्थापित कर दिया। 

क्रांतिकारी भी नारे देने में कम नहीं थे। अमर शहीद सुभाष चन्द्र बोस ने दो नारे दिये। एक "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा" लोगों ने देश के लिए भर भर कर खून दिया और उन्होंने हमें आजादी दिलवाई। दूसरा नारा दिया "दिल्ली चलो" और आजाद हिन्द फौज के जांबाज आजादी की लड़ाई लड़ने दिल्ली की ओर कूच कर गये। 

पाकिस्तान के जनक मोहम्मद अली जिन्ना ने भी एक नारा दिया था "डायरेक्ट एक्शन" यानि कि सीधी कार्यवाही। जिन्ना के समर्थकों ने उस नारे पर अमल करते हुए ऐसी सीधी कार्यवाही की कि नोआखाली (अब बांग्लादेश में है) में हिन्दू साफ कर दिये गये और कलकत्ता में करीब 10000 हिन्दुओं का कत्ल कर दिया गया। ये होता है नारों का असर। 

1947 में भारत आजाद हो गया। आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री बने चच्चाजान। वे गौतम बुद्ध से भी आगे बढ़कर अहिंसा के पुजारी बनना चाहते थे और विश्व बंधुत्व के भारतीय दर्शन के अनुसार पूरे विश्व को अहिंसा का पाठ पढ़ाना चाहते थे। यद्यपि वे खुद कहते थे कि वे "एक्सीडेंटल हिन्दू" हैं फिर भी विश्व नेतृत्व की चाह में उन्होंने अहिंसा के सिद्धांत को आगे रखते हुए "हिन्दी चीनी भाई भाई" का ऐसा नारा दिया कि चीन हमारी छाती पर चढ़ गया। जब एक बार चीन को भाई मान लिया तो भाई के साथ लड़ाई कैसे कर सकते हैं इसलिए चच्चाजान ने आत्म समर्पण कर दिया और हजारों किलोमीटर का क्षेत्र अपने "भाई" चीन को दे दिया। ऐसे चच्चाजान के वंशज आज फिर से चीन की गोदी में बैठकर "चीनी राग" अलाप रहे हैं। 

वैसे "इनका" पाकिस्तान और चीनी प्रेम जग जाहिर है। पाकिस्तान किसने बनवाया ? क्या भाजपा ने या आर एस एस ने ? चच्चाजान का पाकिस्तान प्रेम इतना था कि वे काश्मीर को पाकिस्तान को देने पर पूरी तरह आमादा थे। जब महाराजा हरिसिंह ने काश्मीर का विलय भारत में कर दिया तब पाकिस्तान के आक्रमण करने के पश्चात काश्मीर में सेना नहीं भेजना क्या दर्शाता है ? और उस पर काश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले जाना तो उनका गजब का निर्णय था। 2019 तक हम चच्चाजान और उनके खानदानियों के कारण आतंकवाद का शिकार होते रहे जिससे धारा 370 के खात्मे से निजात मिली है। अब काश्मीर शांत हुआ है। 

सन 1990 में काश्मीर में एक नारा दिया गया "अल सफा, हिन्दू दफा" और उन्होंने हिन्दुओं को ऐसा दफा किया कि वे आज भी काश्मीर में वापस लौटने की हिम्मत नहीं कर पा रहे हैं। 

कांग्रेस और चच्चाजान के खानदान का पाकिस्तान प्रेम जग जाहिर है। जिस प्रकार हवा को खुशबू से, सूर्य को प्रकाश से, बादल को बरखा से प्रेम है उसी प्रकार कांग्रेस को भी पाकिस्तान से प्रेम है। भारत पर आक्रमण करवाने के लिए पाकिस्तान से अजमल कसाब को कलावा पहनाकर और तिलक लगवाकर बुलवाया जाता है और इल्जाम आर एस एस पर लगवाया जाता है। इसे कहते हैं असली प्रेम। इनके बड़े मूर्धन्य नेता मणिशंकर अय्यर पाकिस्तान जाकर उनसे मदद मांगते हैं कि नरेंद्र मोदी को सत्ता से हटाने में उनकी मदद पाकिस्तान करे। तो इनका पाकिस्तान प्रेम किसी से छुपा नहीं है। 

अब कर्नाटक में राज्य सभा के चुनावों में कांग्रेस के अध्यक्ष (असल हैं या कठपुतली हैं, आप अच्छी तरह जानते हैं) मल्लिकार्जुन खड़गे के खास आदमी और बेल्लारी के नेता नासिर हुसैन जब विजयी घोषित हुए तो पूरी विधानसभा "पाकिस्तान जिंदाबाद" के नारों से गूंज उठी। वातावरण एकदम पवित्र हो गया। जब "पाक" का नाम आता है तो वातावरण एकदम शुद्ध हो जाता है। दिलों में प्रेम की "सिंधु"बहने लगती है क्योंकि"गंगा" बहते ही माहौल सांप्रदायिक हो जायेगा ना ! 

न्यूज़ चैनल्स पर लोगों को पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाते देखना बहुत सुखद लगता है। ऐसे नारे सुनकर तबीयत प्रसन्न हो गई। विश्व बंधुत्व की भावना का इससे बेहतर उदाहरण और कहीं नहीं मिल सकता है कि जिस देश ने हम पर चार चार युद्ध थोपे हों और जिसने आतंकवादी भेज भेज कर हमारे हजारों जवान शहीद कर दिये हों, लाखों लोगों को मौत के घाट उतार दिया हो उनके प्रति इतना अगाढ़ प्रेम का प्रदर्शन करना किसी आश्चर्य से कम नहीं है। शत्रु के प्रति ऐसा प्रेम भाव "पाकिस्तान जिंदाबाद" नारे लगाने वालों में और कांग्रेसियों ही हो सकता है। 

हमारे देश में एक वर्ग ऐसा है जो ऐसे नारों के डिनायल मोड़ में रहता है। जब यह समाचार राष्ट्रीय चैनल्स पर प्रसारित हुआ तो ऐसा वर्ग तत्काल जाग गया और कोई तथाकथित फैक्ट चैकर जुबैर खान सोशल मीडिया पर कूद पड़ा और इस समाचार को "फेक" बताने लगा। यह तथाकथित फैक्ट चैकर जुबैर खान सुप्रीम कोर्ट का भी बहुत लाडला है। यह कई बार झूठी खबरें फ़ैलाने के आरोप में जेल में भी जा चुका है लेकिन हमारा शांतिप्रिय समुदाय प्रेमी सुप्रीम कोर्ट तुरंत सीधे ही संज्ञान लेकर इसे बचाने आ जाता है। 

जब सामाचार जनता के मध्य फैला तो भाजपा तुरंत पुलिस थाने पहुंच गई। लेकिन जब इतना सेंसेटिव मामला हो तो पुलिस बिना आका के इशारे के FIR दर्ज नहीं करती है। जो पुलिस एक साल पहले इन्हीं भाजपा वालों के इशारों पर नाचती थी वहीं पुलिस आज भाजपा को नचा रही थी। इसे कहते हैं "निरपेक्षता"। पुलिस को भाजपा और कांग्रेस से कोई प्रेम नहीं है, उसे सिर्फ कुर्सी से प्रेम है। जो कुर्सी पर बैठेगा, पुलिस उसी का हुकुम बजाती है। बड़ी मुश्किल से शिकायत दर्ज हुई और कहा कि जब तक FSL से इसकी पुष्टि नहीं हो जाती तब तक कुछ नहीं होगा। 

अब FSL की रिपोर्ट भी आ गई है और उसमें पाकिस्तान जिंदाबाद नारे की पुष्टि भी हो गई है। लेकिन जुबैर खान जैसे प्रोपेगैंडाबाज अभी भी ताल ठोककर कह रहे हैं कि लोग "नासिर हुसैन जिंदाबाद" के नारे लगा रहे थे न कि पाकिस्तान जिंदाबाद के। जुबैर खान और आर जे सायमा जैसे पाकिस्तान प्रेमियों की बात सही है क्योंकि इन्हें केवल वही सुनाई देता है जो ये सुनना चाहते हैं। इन्हें कभी भी काश्मीर में हिन्दू बहन बेटियों की चीख सुनाई नहीं दी। "द कश्मीर फाइल्स" फिल्म को इन लोगों ने प्रोपेगैंडा फिल्म कहकर उसका उपहास उड़ाया था। केरल से उठी "लव जेहाद" की आंधी को ये लोग नकारते रहे। केरला स्टोरीज नामक फिल्म को फिर से कपोल कल्पित बताते रहे। संदेशखाली की दरिंदगी को झुठलाते रहे तो पाकिस्तान जिंदाबाद के नारों को झुठलाने में कैसी शर्म ? 

बड़ी विचित्र स्थिति बन जाती है जब बंगाल का स्थानीय कांग्रेसी नेतृत्व संदेशखाली की पीड़िताओं के साथ खड़ा नजर आता है और उसका शीर्ष नेतृत्व आरोपी शाहेजहां के साथ। जिन्होंने कभी कैराना के हिन्दुओं के पलायन को सही नहीं बताया, बंगाल के विधान सभा चुनावों के पश्चात परिणाम आने पर तृणमूल कांग्रेस द्वारा भाजपा समर्थित मतदाताओं की नृशंस हत्या, बलात्कार और पलायन को कभी महत्व नहीं दिया तो ऐसे दल, लिबरल्स, खैराती मीडिया, द वायर, क्विंट आदि चीनी दलाल "पाकिस्तान जिंदाबाद" जैसे तुच्छ नारों को क्या भाव देंगे। 

और हां, सुप्रीम कोर्ट को तीस्ता सीतलवाड़ जैसी षड़यंत्रकारी को बचाने से ही फुर्सत नहीं है तो वह ऐसी तुच्छ घटनाओं पर कोई ध्यान देगा, सोचना ही सुप्रीम कोर्ट की अवमानना होगी। इस केस की जांच कर्नाटक पुलिस के पास है इसलिए इस केस में कोई कार्यवाही होगी, सोचना ही मत। और फिर पाकिस्तान है तो भारत का ही बच्चा। अगर उसकी जय उसके चहेतों ने बोल दी तो इसमें कौन सा अपराध हो गया। हम तो दुश्मन को भी माफ करते आये है। पृथ्वीराज चव्हाण इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है तो फिर ये तो अपने ही लोग हैं। 

बस, ऐसे पाकिस्तान प्रेमियों को एक बार पाकिस्तान भेजने की जरूरत है। जिनके दिल में पाकिस्तान बसा हुआ है उन्हें पाकिस्तान में ही रहकर अपने प्रेम का प्रदर्शन करना चाहिए न कि भारत में। भारत में रहना है तो केवल भारत जिंदाबाद बोलना होगा। आज नहीं तो कल, ऐसे पाकिस्तान प्रेमी भारत से बाहर अवश्य होंगे। 


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