पहला दिन

पहला दिन

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नीलिमा का आज ससुराल में पहला दिन था। पूरा दिन अलग अलग रीति रिवाज निभाते हुए बीत गया था। 

सुबह नहा धोकर वह उसका पति सोमेश उसके सास ससुर के सब देवी के दर्शन के लिए गए थे। वहाँ से लौट कर वह अपनी सास के साथ किचन में लग गई। 

दोपहर का खाना होते होते शाम की तैयारी आरंभ हो गई। रिश्ते की और मोहल्ले की औरतें ‌संगीत के लिए आने वाली थीं।

नीलिमा ने सभी का स्वागत किया। वह ख्याल रख रही थी कि सभी को नाश्ता मिले। अगर किसी को कुछ चाहिए होता तो वह खुद लाकर देती। संगीत में उसने अपने गले से सबका दिल जीत लिया। सभी कह रहे थे कि वह तो हर फन में माहिर है। 

सबके जाने के बाद जब घर वाले खाने की मेज पर बैठे थे तब नीलिमा कुछ उदास लग रही थी। उसकी सास ने पूछा तो उसने कह दिया कि थोड़ी थकावट है। 

कुछ देर बाद वह अपने कमरे में आई तो देखा कि सोमेश अपना लैपटॉप लिए कुछ कर रहा है। वह बिना कुछ कहे बिस्तर पर बैठ गई। 

सोमेश ने लैपटॉप लाकर उसके सामने रख दिया। स्क्रीन पर अपने मम्मी पापा की तस्वीर देख कर नीलिमा चहक उठी। उसने सोमेश की तरफ देखा। सोमेश ने उसके कंधे पर हाथ रख कर इशारा किया कि वह बात कर ले।

सोमेश बालकनी में खड़ा था। तभी नीलिमा आई और उसे गले लगा लिया। 

"थैंक्यू.... तुम्हें कैसे पता चला कि मुझे मम्मी पापा की याद आ रही है।"

सोमोश ने कहा।

"तुम्हारा हमसफर हूँ। तुम्हारे मन की बात नहीं समझ सकता हूँ।"


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