हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Comedy

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Comedy

परफेक्शन

परफेक्शन

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15. परफेक्शन "परफेक्शन" एक कला है जो हर किसी में नहीं होती है । जिसमें हर काम को परफेक्ट तरीके से करने की कला होती है , वह जमाने पे राज करता है । मोदी जी को ही देख लो । हर काम को पूरी शिद्दत के साथ करते हैं । ओबामा से लेकर डोनाल्ड ट्रम्प तक , कमला हैरिस से लेकर इटली की प्रधानमंत्री जार्जिया मेलोनी तक सब मोदी जी के मुरीद हैं । उनकी ड्रेस भी परफेक्ट होती है और "जुमले" भी । संसद में विपक्ष को धोने का उनका अंदाज भी इतना परफेक्ट होता है कि विपक्ष चारों खाने चित्त हो जाता है । फिर अधीर, खड़गे, रमेश, झा सब पानी मांगने लगते हैं । 

परफेक्शन की कला भगवान की देन है । भगवान हर किसी पर मेहरबान नहीं होते हैं । जिन्होंने पिछले जन्म में पुण्य कर्म किये हैं उन्हीं पर होते हैं । अब हमीं को देख लो । बचपन से ही हम में यह प्रतिभा झलक रही थी । स्कूल नहीं जाने का कब क्या बहाना बनाना है , यह हमसे बेहतर और कौन जान सकता है ? बहाना भी ऐसा कि हमारी मां हमें स्कूल भेजने के बजाय हमारी पसंद की चीजें बनाकर खिलाने लगती थीं । ये अलग बात है कि हमारी इस प्रतिभा को वे बाद में पहचान गईं और एक दिन सीख देते हुए बोलीं

"बेटा , बहाने बनाने की जो परफेक्ट प्रतिभा तुम में है उसे पढ़ने में लगाओ जिससे तुम्हारा भी उसी तरह से उद्धार हो जाये जैसे गोस्वामी तुलसीदास जी का हो गया था" । बस , उस दिन से हमें ऐसी सीख मिली कि हमने बहाने बनाने बंद कर दिये । अब लोग हमसे मिलने के लिए बहाने बनाते हैं । 

हमारी मां से आया है हममें यह परफेक्शन का गुण । वे हर काम को परफेक्ट तरीके से करती थीं । झाड़ू निकालने से लेकर घर को गोबर से लीपने तक । उनके हर काम में परफेक्शन झलकता था । मजाल है जो उनके काम में कोई ग़लती निकाल दे ! हमारी दादी को तो इसी बात की शिकायत रहती थी कि वह हमारी मां के काम में कोई "मीन मेख" नहीं निकाल पाती थी । बेचारी दादी को इसी बात का बहुत मलाल रहता था कि उनकी सास उनके हर काम में कोई न कोई ग़लती ढूंढ लेती थी और वे अपनी बहू के काम में एक भी गलती नहीं ढूंढ पाईं । इसी गम में वे एक दिन डिप्रेशन में चली गईं । पर हमारी मां भी बहुत उदार हृदय की थीं । उन्होंने जानबूझकर एक दिन खाने में नमक ज्यादा डाल दिया । बस , हमारी दादी को मौका मिल गया हमारी मां की ग़लती ढूंढने का । उस दिन पूरे मोहल्ले की औरतों को दावत दी गई और हमारी मां की ग़लती का खूब ढिंढोरा पीटा गया । तब जाकर हमारी दादी को चैन मिला । 

हम बचपन से ही बड़ी सुंदर लेखनी लिखते आये हैं । अक्सर हमारे अध्यापक, अध्यापिका हमारी लेखनी की प्रशंसा किया करते थे । हमारी कॉपी में "वैरी गुड" , "अति सुन्दर" , "शानदार सुलेख" जैसे कमेंट लिखे होते थे जिन्हें हम अपनी पूरी क्लास को दिखाया करते थे । हमारी बुद्धि का लोहा तो क्लास पहले ही मान चुकी थी क्योंकि हम मास्साब के द्वारा पूछे गये प्रश्न खत्म होने से पहले ही उत्तर दे दिया करते थे । हमारी इसी परफेक्शन की कला से हमारी सहपाठी सविता के पेट में बहुत दर्द रहता था और वह हमें ऐसे घूरती रहती थी जैसे वह हमें कच्चा चबा जायेगी । कई बार उसने हमारी कॉपी चुरा कर उस पर स्याही उंडेल दी थी जिससे हमारे सुलेख का सत्यानाश हो जाता था । उस दिन हमें मास्साब से खूब डांट पड़ती थी तब सविता के चेहरे से नूर बरसने लगता था । जलने वालों की कमी नहीं है साहब इस दुनिया में । 

हमें पत्र लिखने का बहुत शौक था । हमारी हिन्दी भी ठीक ठाक ही थी । तो एक दिन हमारे एक मित्र ने हमें एक प्रेम पत्र लिखने को कहा । पर उस शैतान ने यह नहीं बताया कि वह प्रेम पत्र किसे देगा ? हमने पूरे परफेक्शन से वह प्रेम पत्र लिखा । उसने वह प्रेम पत्र अपना बता कर हमारे सभी मित्रों को पढ़वाया और खूब दाद बटोरी । हमने कहना भी चाहा कि यह प्रेम पत्र हमने लिखा है मगर शब्द हमारे मुंह में ही जम गये थे बर्फ की तरह । और वह प्रेम पत्र हमारे मित्र ने किसी लड़की को दे दिया । 

एक दिन सविता हमारा हाथ पकड़ कर हमें एक खाली कमरे में ले गई और दरवाजा बंद कर हमसे लिपट कर बोली 

"हमें नहीं पता था कि आप हमसे इतना प्यार करते हैं । हम तो आपको बचपन से ही चाहते थे पर आप ही हमारी ओर देखते नहीं थे । पर आपने अपने दिल की बात अपने पत्र के माध्यम से हमें कह दी इससे हमें पता चला" । 

हम सकते में आ गये । हमने तो कोई प्रेम पत्र नहीं लिखा था । जरूर इन्हें कोई गलतफहमी हुई है । हमने खुद को उनकी पकड़ से छुड़ाकर कहा "आपको जरूर कोई गलतफहमी हुई है , हमने कोई पत्र नहीं लिखा है आज तक" 

"मुझे इसी बात का अंदेशा था कि आप ऐसे मानेंगे नहीं , इसलिए वह प्रेम पत्र अपने साथ लेकर आई हूं" । और उसने अपने टॉप के अंदर से वह प्रेम पत्र निकाल कर हमारे हाथ में पकड़ा दिया । यह वही प्रेम पत्र था जो हमने हमारे मित्र के लिए लिखा था । हमने कहा कि यह हमने नहीं लिखा तो वह झट से बोल पड़ी "यह शानदार सुलेख आपके अलावा और किसी का हो ही नहीं सकता है" ? 

इन शब्दों में ताना , उलाहना, खीझ , झल्लाहट, क्रोध सब कुछ था । हम मुंह नीचा कर सब सुनते रहे । दूसरे का भला करने में कभी कभी अपना भी नुकसान हो जाता है । उस दिन हमें महसूस हुआ कि हमारे परफेक्शन से हमें क्या नुकसान हो सकता है । 

जब हमारी शादी हुई तो हमें पता चला कि हमारी श्रीमती जी को सलाद सजाने के अलावा और कुछ नहीं आता है । सलाद काटकर उसे ऐसा सजाती थीं कि उसे खाने की इच्छा ही नहीं होती थी । बस , उसे देखते रहने का मन करता था । हमें उसने ही सिखाया कि सलाद कितने तरीकों से सजाया जा सकता है । वास्तव में परफेक्शन की कोई सीमा नहीं है । फिर हमारी मां ने उन्हें खाने की बारीकियां समझाते हुए उन्हें खाना बनाने में परफेक्ट कर दिया । अजवाइन और सौंफ में अंतर नहीं करने वाली लड़की ऐसा खाना बनाने लगी कि हमारी मां उस पर कुर्बान हो गईं । मां अब पाला बदल कर अपनी बहू के साथ खड़ी हो गई । ये थी परफेक्शन की ताकत । 

अभी कल परसों ही हमें एक शादी में जाना पड़ा । जब हमने दूल्हे की मां और बहन को देखा तो हम स्तंभित रह गये । उनका मेकअप ऐसा किया था कि देखने में वे दोनों "बंदरिया" लग रही थीं । हमें मन ही मन बहुत हंसी आई लेकिन बड़ी मुश्किल से उस पर नियंत्रण किया । जब मुझसे रहा नहीं गया तो मैं बोल उठा "भाभीजी , आप तो प्राकृतिक रूप से ही इतनी सुन्दर हैं कि आपको मेकअप की जरूरत ही नहीं है" । इन शब्दों ने जादू जैसा काम किया और वे अपना मुंह धोकर आ गईं । यदि मेकअप आर्टिस्ट नौसिखिया हो तो ऐसा ही होता है । वे पहले हमारे परफेक्शन का बहुत मजाक उड़ाती थीं लेकिन उस दिन उन्हें परफेक्शन की कला का पता चल गया । 

एक हैं मिस्टर परफेक्शनिस्ट ! पता नहीं वे अभिनय में परफेक्शनिस्ट हैं या नहीं लेकिन प्यार के मामले में परफेक्शनिस्ट जरूर हैं । वे सज्जन प्यार इतने परफेक्ट तरीके से करते हैं कि हर दस साल में एक नया प्यार ढूंढ लेते हैं । नये प्यार के लिए वे अपने पुराने प्यार को कुर्बान कर देते हैं । और मजे की बात यह है कि उनका पुराना प्यार उनसे कोई शिकायत भी नहीं करता है । इसे कहते हैं परफेक्शन । प्यार भी परफेक्ट तरीके से किया जा सकता है , ये बात मिस्टर परफेक्शनिस्ट दुनिया को अच्छी तरह से समझा रहे हैं और लोग उनके नक्शे कदम पर चलने भी लगे हैं । 

परफेक्शन केवल सकारात्मक चीजों में ही हो , आवश्यक नहीं है । कुछ लोगों को अपनी कब्र खोदने में महारत हासिल है । हमारे देश में यह काम एक युवराज बखूबी से कर रहे हैं । वे अपने खानदान के साथ साथ अपनी पार्टी की कब्र भी पूरे परफेक्शन से खोद रहे हैं । देश विदेश जहां भी जाते हैं बेड़ा गर्क करके ही लौटते हैं । उन्हें इसी में आनंद आता है । कालिदास जी भी तो जिस डाली पर बैठे थे , उसी को काट रहे थे । ये था उनका परफेक्शन । इसी परफेक्शन की वजह से वे इतने महान कवि बने थे । हो सकता है कि हमारे युवराज ने उन्हीं से प्रेरणा ली हो और पूरी शिद्दत से पार्टी को खत्म कर रहे हों । पर जो भी हो , काम में पूरा परफेक्शन है उनके । चमचे भी पूरे परफेक्शन से उनकी हौंसला अफजाई कर रहे हैं क्योंकि जो काम कल होना है वह आज ही हो जाये तो बेहतर है । 

हमारी छमिया भाभी को ही देख लो ! किस तरह वे लोगों के दिल पर छुरियां चलातीं हैं, सब जानते हैं । कातिलाना नजर , कंटीली भौंहें , दिलकश मुस्कान, लचकती कमर , बलखाती चाल सबको काम में लेती हैं वे । सामने वाले पर एक साथ इतना प्रहार कर देतीं हैं कि उसके बचने का कोई चांस ही नहीं रहता है । इसे कहते हैं अपने हथियारों का परफेक्ट इस्तेमाल करना । इस क्षेत्र की वे माहिर खिलाड़ी हैं । कब गुगली फेंकनी है और कब फास्ट बॉल डालनी है , टाइमिंग बहुत मायने रखती है । परफेक्शन में टाइमिंग का भी ध्यान रखना पड़ता है । अपनी चालों को सही समय पर चलने से ही मैच जीता जा सकता है नहीं तो लेने के देने पड़ जाते हैं । इसलिए हर एक काम पूरे परफेक्शन से करना चाहिए, ऐंवई नहीं । इस कला को पहचानिये और इसका भरपूर फायदा उठाइये । 



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