रंग
रंग
दोनों बच्चे मेले में खेलने में इतना मगन थे कि कब धूल से सन गए, पता ही न चला।इसी बीच बड़े लड़के का खिलौना टूट गया। अब वह अपने पापा के डांट से डर रहा था।छोटे बच्चे के पापा ने दूसरा खिलौना खरीद कर बड़े बच्चे को दे दिया। दोपहर का खाना अब उन्हें नसीब न होने वाला था।
रात का खाना मिल सके इसलिए अपने बेटे को लेकर अब पुन: भीख मांगने निकल पड़ा।अपनी किस्मत की ही तरह छोटे बच्चे का रंग भी स्याह था।दोनों बच्चों में रंग के अलावा एक फर्क उनकी व्यक्तिगत अर्थव्यवस्था का भी था।