Saroj Verma

Horror

4.1  

Saroj Verma

Horror

SHADOW.....

SHADOW.....

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आयुष, कहां है यार!

बंगले में घुसते ही हर्ष ने आयुष को आवाज दी

तभी आयुष की मां आई,

अरे, हर्ष बेटा तुम,

नमस्ते! आण्टी

कहां है नवाब साहब अभी तक तैयार नहीं हुए, मुझसे बोला था तू ठीक time पर आ जइओ, लेकिन अभी खुद ही तैयार नहीं हुआ, आण्टी कहां है अपना hero! हर्ष बोला।

अब मैं क्या जानूं, उसका तो तुझे पता है कि जल्दी कुछ बनता ही नहीं है, अभी थोड़ी देर पहले mall से लौटा है, पता बीस हजार का सूट लेकर आया है, शादी में पहनने के लिए, बोला दोस्त की शादी है, सारे सूट पुराने हो चुके है।

मैं तो इसके फिजूलखर्ची से परेशान हो चुकी हूं, और इसके पापा है कि बोलते हैं कि एक ही तो बेटा है, उसी के लिए तो कमा रहा हूं, करने दो उसे शौक पूरे, बेटी की शादी हो गई है उसकी जिम्मेदारी भी पूरी हो गई है, अब सब इसी का तो है,

जाओ ऊपर जाकर उसके कमरे में देख लो, आयुष की मम्मी बोली।

अच्छा आंटी, जाकर देखता हूं, हर्ष बोला।

बहुत बड़ा बंगला है, सुरेश सिंघानिया साहब का, खानदानी अमीर जो ठहरे, जिस भी व्यापार में हाथ डालते हैं बस वहीं सोना उगलने लगता है, ना जाने कितने hotels है उनके, घर की parking में जाने कौन-कौन सी कारें खड़ी रहती है, अब Mall बनाने का सोच रहे हैं, उसके लिए कोई अच्छी सी जमीन तलाश रहे हैं, लेकिन इतने अमीर होने पर उनके अंदर इनसानियत अभी भी कायम है, व्यापार के साथ-साथ ना जाने उनके कितने वृद्धाश्रम और अनाथालय चलते हैं, जब भी व्यापार से समय मिलता तो मंदिर भी जाते हैं, गरीबों को खाना खिलाने, सारे धर्म-कर्म नियम से निभाते, वो कहते है कि फल से लदे हुए वृक्ष को हमेशा झुका रहने चाहिए, विनम्रता के बिना इंसान पशु बन जाता है, इन्हीं के बेटे का नाम आयुष है, उसकी पढ़ाई पूरी हो चुकी है, बस कुछ दिनों में वो भी व्यापार को सम्भालने में हाथ बंटाने लगेगा, बेटा भी उनका बहुत संस्कारी हैं लेकिन थोड़ा खर्चीला है, उनकी पत्नी सुकन्या भी बहुत शीलवंती है, इतनी अमीर होने के बावजूद भी बहुत पूजा-पाठ करती है, उनकी एक बेटी है जिसका नाम शालिनी है उसकी शादी हो चुकी है, बस बहुत ही खुशहाल परिवार है, उनका।

आज हर्ष और आयुष के किसी दोस्त की शादी है, वो दोनों वहीं जा रहे हैं।

हर्ष, आयुष के कमरे पहुंचा, उसने पूछा मैं अंदर आ जाऊं भाई!

अरे, यार क्या कर रहा है, अभी तक तैयार नहीं हुआ, हर्ष बोला।

बस यार जूते ही तो पहन रहा हूं, बस तैयार हूं, चल! आयुष बोला।

दूल्हा-दुल्हन के gift मैंने पहले ही car में रखवा दिए हैं।

आयुष ने बोला माॅम, हम जा रहें हैं!

लेकिन ये तो बताओ कहां?सुकन्या ने पूछा।

अरे माॅम, जो वो भरतपुर जाने वाला रास्ता है ना उसी road पर यहां से दस-बारह किलोमीटर दूर हमारे दोस्त शांतनु का farmhouse है वहीं उसकी शादी है।

लेकिन वो road तो रात के समय अच्छी नहीं है, कहते हैं वहां तो बुरी शक्तियों का वास है, लोग तो रात में उस रोड पर जाना अनदेखा करते हैं, लेकिन तुम लोग रात में उसी road पर जा रहे हो, सुकन्या बोली।

अरे, माॅम आप भी कहां भूत-प्रेत की कहानियों में अटकी है, आज के जमाने इंसान खुद एक भूत बन गया है, और इस science के जमाने में कहां भूत प्रेत होते हैं, आप चिंता ना करें हम पहुंच कर phone कर देंगे और वहां से आते वक्त भी।

अच्छा तो हम चलते हैं, आयुष बोला।

और वो दोनों car में बैठें और निकल गये।

लेकिन सुकन्या का मन किसी अनजानी आशंका में डूब गया।

दोनों दोस्त शादी में पहुंचे, खूब enjoy किया, खूब नाच -गाना हुआ आयुष ने जरूरत से ज्यादा पी ली और हर्ष पीता ही नहीं था, अब घर जाने का time हो गया तो हर्ष बोला, आयुष चल यार अब घर चलते हैं, रात के बारह बज रहे हैं, तूने अब बहुत पी ली चल छोड़।

और हर्ष ने सबसे विदा ली, और आयुष को अपने कंधे के सहारे car तक लाया और car खुद drive करने लगा, आयुष को होश था और वो हर्ष से बातें भी कर रहा था।

तभी हर्ष बोला, यार car drive करने दे, मुझे वैसे भी driving , कम आती है, मुझे concentrate करने दे भाई, तू थोड़ी देर बातें मत कर, तूने पी रखी है इसलिए मुझे driving करनी पड़ रही है।

और आयुष अपनी window से बाहर देखने लगा, तभी अंधेरे में सड़क के किनारे उसे सफेद gown में एक लड़की दिखी।

उसने हर्ष से कहा भी कि देख भाई, इतनी रात को ये लड़की यहां क्या कर रही है।

हर्ष बोला, यार भाई तूने कुछ ज्यादा ही पी रखी है, मुझे concentrate करने दे, घर पहुंच कर बात करते हैं और होगा कोई जानवर और तुझे लड़की लग रही है।

और वो घर पहुंच गए और आयुष को छोड़कर हर्ष भी अपने घर scooty से चला गया जो आयुष के घर लेकर आया था।

आयुष अपने कमरे में ऐसे ही बिना change करें सो गया था, करीब रात को दो -तीन बजे उसकी आंख खुली उसने कपड़े change किए फिर bathroom गया और आईने में अपना चेहरा देखने लगा तो उसे अपने पीछे एक परछाईं नज़र आई उसने पीछे मुडकर देखा तो कोई नहीं था।।


आयुष का कमरा भी बहुत बड़ा और बहुत ही खूबसूरत था, बहुत ही महंगी साज-सज्जा थी कमरे की।

आयुष ने कमरे की light बंद की और अपने बिस्तर पर आकर लेट गया लेकिन उसे नींद नहीं आ रही थी, उसे ऐसा लग रहा था कि कमरे में कोई है।

उसने खड़े होकर, कमरे की खिड़कियां खोली, ताकि ताजी हवा आ सके, क्योंकि A.C. चलाने लायक मौसम नहीं था, अब कि बार उसने light खुली ही छोड़ दी, वो बिस्तर पर आके लेट गया लेकिन अचानक light अपने आप बंद हो गई।

उसने अपने phone की light जलाई, phone की हल्की रोशनी में उसे लगा कि खिड़की का पर्दा हिल रहा है, शायद वहां कोई है, वो बिस्तर से उठा, उसे पर्दे के नीचे पैर झांकते हुए दिखे, उसने पर्दा उठाने की कोशिश की, लेकिन वो पर्दे में उलझकर रह गया, पर्दे ने उसके चेहरे को चारों तरफ़ से ढक लिया, उसे ऐसा लगा कि पर्दे की सहायता से कोई उसका गला घोंट रहा हो, उसकी सांसें रूक रही थीं और उसका दम घुटा जा रहा था, और वो बेहोश होकर फर्श पर गिर गया, उसे जब होश आया तो सुबह हो चुकी थी।

लेकिन जो रात को उसके साथ हुआ, क्या वो सच्चाई थी या सपना, उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था, लेकिन वो ज़मीन पर कैसे आया, फिर उसे लगा कि ज्यादा पी ली होगी शायद इसलिए।

वो तैयार हुआ और breakfast करने नीचे पहुंचा, अनमने मन से नाश्ता कर रहा था तो सुकन्या ने पूछा।

क्या हुआ बेटा, नाश्ता पसंद नहीं आया तो कुछ और बनवाऊँ।

नहीं मां, रात को देर से सोया तो नींद पूरी नहीं हुई, इसलिए ऐसा लग रहा है, बस थोड़ी थकावट है, आप परेशान ना हों, आयुष बोला।

तभी आयुष से सिंघानिया साहब बोले__

बेटा, जो Mall बनाने की हम सोच रहे हैं, उसके लिए जो जमीन हम लोग उस दिन देखकर आए थे, उसे बहुत सस्ते दामों पर वहां का मालिक बेचने के लिए तैयार हो गया है।

बस वहां जो पुराना सा घर है, शायद वो घर किसी ईसाई परिवार का था, उसे तुड़वाना होगा, आस-पास क्या है, वो सब देखना पड़ेगा, उस जमीन का मुआयना करना होगा कि वो जगह mall के लिए बेहतर रहेगी।

ठीक है पापा, आप जब कहे मैं जाने के लिए तैयार हूं, आयुष बोला।

सिंघानिया साहब बोले तो दोपहर में lunch time पर तुम आ जाओ, साथ में lunch करके निकल चलेंगे , जमीन देखने, और बेटा हर्ष को भी ले ले ना साथ में, इन सब चीजों के लिए उसकी समझ ज्यादा है, क्योंकि उसने civil engineering कर रखी है तो उसे भी साथ में ले आना, उसके पास अच्छे ideas हुए तो, कुछ काम उसको भी सौंप देंगे, नौकरी नहीं है तो फ़ालतू है अभी इसी बहाने उसे कुछ experience भी हो जाएगा और कुछ पैसे भी मिल जायेंगे।

जी, पापा आप सही कह रहे हैं, आयुष बोला।

तभी सुकन्या आई, और बोली क्या बातें हो रही है, बाप-बेटे में, जरा मैं भी तो जानूं।

सिंघानिया साहब बोले, वो जो mall के लिए जमीन देखी थीं, वो काफ़ी सस्ते दामों में मिल रही है, उसी के बारे में बातें हो रही है, उसी road पर शाय़द आयुष के किसी दोस्त का farmhouse है, है ना आयुष।

तभी आयुष बोला, अभी कल ही तो हम लोग वहां गए थे,

सुकन्या बोली, क्या उस भरतपुर वाले road पर? उस भूतहे रास्ते पर, जमीन ले रहे हैं।

सिंघानिया साहब बोले, तुम भी इस ज़माने में कैसी बातें करती हो, सुकन्या।

तभी आयुष बोला, मैंने भी मांम से कल यही कहा था,

सिंघानिया साहब नाश्ता कर के office चले गए।

आयुष ने नाश्ता किया और अपने कमरे में सोने के लिए आ गया, उसने T.V. खोली, लेकिन T.V.देखने में उसका मन नहीं लग रहा था तो बंद कर दी, लेकिन अचानक T.V.फिर खुल गई और T.V. में सफेद कपड़े पहने एक परछाईं दिखी और गायब हो गई साथ में खुद-ब-खुद T.V भी बंद हो गई, आयुष को लगा कोई problem होगी connection में और रात का थका था तो सो गया।

करीब दो घंटे बाद उसकी नींद खुली, उसे अब अच्छा feel हो रहा था, अब उसकी थकावट भी दूर हो गई थी, वो बिस्तर से उठा, तैयार हो कर, हर्ष को phone किया कि पापा के office आ जा जरूरी काम है, lunch भी वहीं करेंगे।

दोपहर के समय सबने lunch किया, लगभग तीन बजे सब जमीन देखने पहुंचे, road पर गाड़ी park की और निकल पड़े, जमीन देखने, दूर-दूर तक बस मैदान ही मैदान था, आस-पास ना कोई बस्ती ना कोई घर, कहीं-कहीं पर छोटी-छोटी झाड़ियां थी, ऐसे थोड़े बहुत बबूल के पेड़ उगे थे, और बीच में एक पुराना सा घर, घर बहुत ही पुराना था, जगह-जगह से टूटा-फूटा नजर आ रहा था।

जो उस जमीन का मालिक था, वो खुद नहीं आया था, उसका personal secretary आया था उन लोगों के साथ, सारी जमीन को देखने के बाद, वो लोग उस पुराने घर में पहुंचे, अंदर से घर बहुत ही खूबसूरत था, लेकिन जगह-जगह मकड़ी के जाले लगे थे और बहुत सी चीजें पुरानी होने की वजह से खराब हो गई थी।

एकाएक, आयुष को पता नहीं अजब सा एहसास हुआ कि कोई उसे बुला रहा है, वो नहीं जाना चाहता, तब भी अदृश्य सी शक्ति उसे अपनी ओर खींच रही थी।

वो सीढ़ियों की तरफ बेसुध सा बढ़ने लगा, हर्ष और सिंघानिया साहब आपस में बातें कर थे, तब तक आयुष ऊपर पहुंच गया, ऊपर पहुंचते ही उसे होश आया कि मैं ऊपर कैसे पहुंच गया, वहां की खिड़की खुली थी, खिड़की से बाहर झांका, नीचे एक गहरा सा पुराना कुआं है, बाहर का नजारा अच्छा लग रहा था, तभी उसने सोचा इस जगह अपनी एक selfie ले लेता हूं, और जैसे ही उसने selfie लेनी चाही तो देखा, उसके साथ एक आधे चेहरे वाला बूढ़ा सा आदमी दिखाई पड़ा, आयुष डर गया, उसने अपने बगल में देखा तो कोई नहीं था, फिर उसने phone में देखा लेकिन आधे चेहरे वाला बूढ़ा आदमी phone में तो दिख रहा था, लेकिन बगल में नहीं, उसे डर लगा, आधे चेहरे वाला आदमी अचानक से सामने आ गया, उसके पैर जमीन को नहीं छू रहे थे, वो बस ऐसे ही हवा में तैर रहा था, और आयुष के पास धीरे-धीरे से बढ़ने लगा, आयुष ने जैसे ही वहां से जाने की सोची, तभी एक सफेद gown वाली लड़की चीखते हुए खिड़की से छलांग लगा दी, और कुंए में कूद गई।

अब तो आयुष को डर लग रहा था कि दिन-दहाड़े ये क्या हो रहा है और अगर किसी से बताया तो लोग हंसेंगे उस पर, वो चुपचाप नीचे आ गया, तभी हर्ष ने पूछा, क्या हुआ? आयुष इतना पसीने-पसीने क्यों है?

आयुष बोला, गर्म ज्यादा लग रहा है यहां और प्यास भी लग रही है,

तो ले पानी पी लें, मैं पानी साथ में लाया था, हर्ष बोला।

आयुष ने मुंह धोया और पानी पिया, और बोला पापा अब चलते हैं यहां से।

और सब वापस आ गये, हर्ष जाने लगा तो सिंघानिया साहब बोले, हर्ष बेटा, अब थोड़ी देर और रुक जाओ dinner करके जाना, हर्ष बोला ठीक है uncle, सब dinner कर रहे थे, लेकिन आयुष का ध्यान खाने पर नहीं, कहीं और था, तभी हर्ष बोला, क्या हुआ तू आज, अजीब सा behave क्यों कर रहा है?

आयुष बोला कुछ नहीं, यार, तू तो बस...........

dinner करके हर्ष अपने घर चला गया और आयुष अपने कमरे गया, उसने night dress पहनी और brush करने, bathroom गया, जैसे ही आईने में देखा तो बगल में सफेद gown में एक लड़की खड़ी है, लेकिन उसने अपने बगल में देखा तो कोई नहीं, लेकिन वो आईने में दिख रही थी, फिर अचानक गायब हो गई, उसने जल्दी-जल्दी brush करके अपना चेहरा धोया और तौलिये से चेहरा पोंछ ही रहा था कि, किसी ने तौलिया से उसका चेहरा ढक कर गला दबाने की कोशिश की, जैसे -तैसे उसने अपने आपको छुड़ा लिया, लेकिन वहां कोई नहीं नजर नहीं आया।

बस वो चुपचाप बिस्तर पर आकर लेट गया, दिनभर का थका था, थोड़ी देर में उसे नींद आ गई।

सुनसान सी जगह और घोर अंधेरा, आयुष की खून से लथपथ लाश को कोई आधे चेहरे वाला बूढ़ा सा आदमी सीढ़ियों से धीरे धीरे उसके एक कंधे से पकड़ कर घसीटकर लिए जा रहा , उसने एक बड़ा सा गंदा और पूराना over coat पहना है, पैरों में घुटनों तक के boots पहने हैं जो कि खून से सने हुए हैं, एक हाथ में कुल्हाड़ी हैं, खून से लथपथ, लाश को घसीटने से घर्र घर्र की आवाज आ रही है।

तभी आयुष की आंख खुल जाती है, कितना भयानक सपना था, आयुष बोला_______


रात का समय, आयुष खाना खाकर, balcony में अपना tablet लेकर बैठ गया।

balcony से घर के सामने का swimming pool दिख रहा था, रोशनी में swimming pool का पानी बहुत अच्छा दिख रहा था, उसके बाद cars की parking थी, जहां पर सारी cars खड़ी थी, उधर रोशनी कम थी, parking के बगल में batminton court था।

आयुष को swimming pool का पानी अच्छा लगा, तो उसने tablet से एक picture click करनी चाही, picture click करने के बाद उसने देखा कि उसमें कुछ परछाई सी दिख रही है, उसने tablet के camera को zooming mode पर करके picture click की, उसमें फिर से वही सफेद gown वाली लड़की दिखी, लेकिन कैमरे के बिना, ऐसे ही देखने पर नहीं दिख रही थी।

आयुष ने tablet पर देखा और tablet देखते ही, tablet से दो ख़ून से सने हाथ बाहर निकले और आयुष का जोर से गला दबाने लगे और आयुष के हाथ से tablet छूट कर नीचे गिरा, tablet के गिरने से आवाज हुई, तो नीचे खड़े watchman की नजर balcony में गई वो भागकर अंदर गया और सबको बताया कि छोटे साहब को कुछ हो रहा है, सब भागकर ऊपर आए , तब तक वो हाथ आयुष का गला छोड़ चुके थे।

सबने पूछा भी कि आयुष क्या हुआ बेटा? लेकिन आयुष ने बात टाल दी।

लेकिन watchman थोड़ा बहुत समझ गया था कि कोई ना कोई बात जरूर है जो छोटे साहब बताना नहीं चाह रहे, हो ना हो कोई ऊपरी चक्कर है।

आयुष अपने कमरे में आया, थोड़ी देर टीवी देखी फिर लेट गया, थोड़ी देर में उसे नींद आ गई, रात में उसकी आंख खुली, कमरे में हल्की रोशनी थी night bulb की, उसे कुछ आवाज़ आई, bathroom की तरफ़ से , bathroom का दरवाजा बार-बार थोड़ा खुल रहा था, थोड़ा बंद हो रहा था, चर्र-मर्र की आवाज आवाज रही थी, उसने time देखा तो रात के दो बज रहे थे फिर वो बिस्तर से उठा , bathroom का दरवाजा पूरी तरह खोल दिया और जैसे ही दरवाजा खोला, दरवाज़े से सफेद gown वाली लड़की अचानक निकली और एक बार फिर चीख मारते हुए, खिड़की से कूद गई।

आयुष बहुत जोर से चीख पड़ा और बुरी तरह डर गया, तब तक सुकन्या और सुरेश भी आ गये, उन्होंने पूछा, क्या हुआ बेटा?

आयुष ने शुरू से लेकर सारी बात बता दी।

अब सुकन्या और सुरेश, आयुष को लेकर नीचे आ गये, सब एक साथ एक ही कमरे में रहे और सुबह होने का इंतजार करने लगे।

सुबह हुई watchman ने सिंघानिया साहब को परेशान देखा तो पूछा, साहब क्या बात है? आप परेशान लग रहें हैं।

सिंघानिया साहब ने सारी बात रामसिंह watchman को बता दी, रामसिंह बोला, साहब जहां मैं रहता हूं, वहां एक मस्जिद है, वहां एक बहुत जाने-माने फकीर बाबा रहते हैं, उनके पास लोगों की भीड़ लगी रहती है, वो आत्माओं से बात करके, उनकी समस्या सुनते हैं, कारण जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर आत्मा किस मकसद से उस शरीर के पास रहती है, अगर आप कहें तो छोटे साहब को वहां ले चलते, शायद वहां जाने से उनकी समस्या का हल मिल जाए।

सिंघानिया साहब वहां चलने के लिए तैयार हो गए, सब लोग मस्जिद पहुंचे, रामसिंह ने सारी बात बाबा को बताई।

बाबा ने कहा, आप सब मेरे साथ आए,

बाबा सबको एक कमरे में ले गए, बाबा ने अपनी सारी सामग्री निकाली और अपना काम करना शुरू कर दिया।

बाबा को अहसास हुआ कि वो दो आत्माये हैं, और वही आस-पास है, बाबा ने कुछ फूंक डाली, और बहुत सारी धूपबत्ती से धुआं किया, वो दोनों आत्माये अब सबको दिख रही थी।

बाबा ने सवाल पूछने शुरू किए कि कौन हो तुम दोनों और तुम्हें इस लड़के से क्या चाहिए,

आधे सर वाले आदमी की आत्मा बोली, ये मेरी बेटी स्टेला है और हमें बदला चाहिए, हम पच्चीस सालों से ऐसे ही भटक रहे हैं।

बाबा ने पूछा, क्यो?

आधे चेहरे वाली आत्मा ने, सिंघानिया साहब की तरफ़ इशारा किया।

फिर बाबा कहा, इन्होंने ऐसा क्या किया है? जो तुम्हें इनसे बदला चाहिए।

फिर आधे सिर वाली आत्मा बोली, पच्चीस साल पहले, इन्होंने कुछ किया था, उसी का बदला, इन्हीं की वजह से मेरी बेटी ने आत्महत्या की थी।

बाबा ने कहा पूरी कहानी शुरू से सुनाओ।

उसने सुनाना शुरू किया___

बात उस समय की है, जो जमीन आप देखने गए, मैं उस जमीन के मालिक का personal secretary था, हमें वो घर रहने को मिला था, हम बाप-बेटी आराम से खुशी खुशी रह रहे थे, फिर मेरी बेटी की शादी तय हो गई, एक ईसाई परिवार में, हम भी ईसाई परिवार से थे, शादी का दिन था, मेरी बेटी तैयार हो रही थी, सफेद gown में बहुत खूबसूरत लग रही थी, तभी मेरे मालिक का phone आया, कि जरूरी काम के लिए साठ लाख रुपए कहीं पहुंचाने है, मेरे घर पैसे मालिक का कोई आदमी दे गया, मैंने बेटी से कहा कि मैं बस थोड़ी देर में जरूरी काम निबटा कर आ रहा हूं, मैंने घर से सड़क तक का कच्चा रास्ता तय किया और सड़क पर आकर किसी वाहन का इंतजार कर ही रहा था कि इनकी गाड़ी ने जोर की टक्कर मारी और मैं बूढ़ा शरीर वहीं नीचे लुढ़क गया, और मेरे साथ ही एक भारी पत्थर भी लुढ़क कर मेरे चेहरे पर गिरा और मेरा आधा चेहरा बेकार हो गया, मैं मर गया।

और वो साठ लाख रुपए ना जाने कौन मेरी लाश को दफना कर चुरा ले गया, सुबह के चार बजे तक मेरी बेटी इंतजार करती रही, फिर किसी ने आकर कहा कि तेरा बाप चोर है और वो कभी नहीं लौटेगा, साठ लाख रुपए लेकर भाग गया है, इस बात से उसकी शादी भी टूट गई, और उसने खिड़की से घर के पीछे के कुंए में छलांग लगा कर, आत्महत्या कर ली, उस दिन तुम बाप-बेटे जमीन देखने आए थे, तब मैं तुम्हें पहचान लिया, और तुम्हारे बेटे को परेशान करना शुरू कर दिया।

तभी सिंघानिया साहब बोले, हां मुझे याद आया उस रात आयुष का जन्म होने वाला था, और मुझे सुकन्या के पास जाने की जल्दी थी, क्योंकि उसकी हालत गम्भीर थी, हां मेरी गाड़ी से कुछ टकराया तो था, लेकिन मुझे लगा कोई जानवर है, और मैंने गाड़ी नहीं रोकी, और जल्दी में था शायद इसीलिए।

तुम्हारा जो नुकसान हुआ, उसकी भरपाई तो कभी नहीं हो सकती लेकिन मैंने ग़लत किया था , मेरे बेटे को कुछ मत करो उसे माफ कर दो।

तुम जो चाहे मेरे साथ कर सकते हो,

तभी उसकी बेटी की आत्मा ने कहा, इन्होंने जो कुछ किया अनजाने में किया, हम सबको माफ करते हैं, और हमारे कंकालों को निकाल कर उचित कब्रिस्तान में दफना दिया जाए।

अपने कंकालों की जगह बताकर दोनों आत्माये चली गई, लड़की का कंकाल कुंए में मिला और बाप का सड़क के किनारे।

दोनों को विधिवत दफना दिया गया।

आयुष को फिर वो दोनों कभी नहीं दिखे।



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