विदाई

विदाई

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आज दशहरा का दिन है ,दीनानाथ जी देख रहे हैं कि मोहल्ले के बच्चे दिन भर से एक स्थान पर सब घरों से प्लास्टिक का सामान ला लाकर इकठ्ठा कर रहे हैं ,उनके मन मे कौतूहल जाग उठा आखिर ये बच्चे क्या करने वाले हैं ।

उन्होंने उनके पास जाकर पूछा आखिर तुम बच्चे क्या करने वाले हो रावण जलाने दशहरा मैदान नही जा रहे हो क्या ? शाम हो चली है अब तो ।

एक बच्चे प्रकाश ने उनके हाथ मे माचिस की डिबिया पकड़ाकर कहा-

 "आज बुराई पर अच्छाई की जीत का दिन है मास्टर साहब , आज हम भी इस प्लास्टिक के सामान को विदाई देंगे ताकि इससे होने वाले नुकसान से हम बच सकें ,क्या आप हमारा साथ देंगे सर ?"

 दीनानाथ जी बच्चों के इस साहसिक फैसले पर अपनी स्वीकृति की मुहर लगाते हुए माचिस की तीली जलाकर प्लास्टिक के ढेर में लगा देते हैं ।

 सब बच्चों के चेहरे पर विजय भरी मुस्कान है,आज उन्होंने भी प्लास्टिक रूपी रावण को जला कर उस बुराई का अंत कर दिया , जो हर पल उनके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रही थी ।



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