हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

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यमलोक की सैर

यमलोक की सैर

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मैं अपने ऑफिस में बैठकर कुछ गोपनीय फाइलें देख रहा था कि अचानक मेरे चैंबर में चार पांच मुस्टंडे घुस आये । मैं उन्हें देखकर भयभीत हो गया । बड़ी बड़ी मूंछें, बेतरतीब दाढ़ी, बिखरे हुए बाल , मछली चमकती हुई भुजाऐं और हट्टा कट्टा बदन । इतना मुस्टंडा तो गब्बर सिंह भी नहीं था जितने ये लोग थे । मैं थर थर कांपने लगा । ऐसा महसूस हुआ कि आज मैं "लॉरेंस विश्नोई गैंग" के द्वारा किडनैप होने वाला हूं या आज मेरा "राम नाम सत्य" होने वाला है । लॉरेंस विश्नोई गैंग का नाम सोचकर मेरी घिग्घी बंध गई । मुंह से झाग निकलने लगे और हाथ पैर कंपकंपाने लगे । एक बार यमराज से बच सकता है कोई बंदा मगर इस गैंग से बच नहीं सकता है । हम राम राम जपने लगे । ऐसे समय यही याद आता है । 

हमें देखकर मुस्टंडों का सरदार कड़ककर बोला "ले चलो इसे" 

मैं और भी घबरा गया कि आज तो कल्याण निश्चित है । मगर डरते डरते पूछ लिया "आप लोग कौन हैं और मुझे कहां ले जा रहे हैं" ? 

मुस्टंडों का सरदार बोला "हम लोग यमदूत हैं और तुझे यमलोक ले जा रहे हैं" 

यमदूत का नाम सुनकर मैं चौंका । मैंने तो सुना था कि यमराज जी के सिर पर सींग होते हैं और वे भैंसे की सवारी करते हैं । पर न तो उस सरदार के सींग थे और न ही वहां भैंसा नजर आ रहा था । मुझे वह कोई फर्जी यमराज लग रहा था । आजकल फर्जी बैंक कर्मचारी बनकर लोग फोन करते हैं और ओटीपी पूछकर उसका खाता साफ कर देते हैं । मैं चौकन्ना हो गया और मान लिया कि ये लोग फर्जी हैं । मैंने कहा "आपका भैंसा कहां है और आपके सींग कहां गायब हो गए" ? 

यमराज जी यह सुनकर रो पड़े "भैया जी , इसे मत पूछो । बड़ी दर्द भरी कहानी है । आपके देश के ही किसी 'पशु प्रेमी' ने सुप्रीम कोर्ट में एक PIL डाल दी कि यमराज जी भैंसे पर बैठकर जाते हैं । यह घोर पशु अत्याचार है । अतः: यमराज जी को भैंसे पर अत्याचार करने के लिए कड़ी सजा दी जानी चाहिए । सुप्रीम कोर्ट का जे भी बहुत बड़ा 'वोक' था और था भी पशु प्रेमी । इसलिए उसने फैसला सुना दिया कि भैंसे के भी मानवाधिकार होते हैं उनकी अवहेलना नहीं की जा सकती है । इसलिए उस दिन से उनका भैंसा छीन लिया और सुप्रीम कोर्ट की "दर्शक दीर्घा" में रखवा दिया गया है जिससे सुप्रीम कोर्ट की ताकत का अंदाजा जनता को हो सके कि ये सुप्रीम कोर्ट है जो यमराज को भी अपना भैंसा छोड़ने पर विवश कर देता है" । 

यमराज जी की असलियत मेरे सामने खुल गई फिर मैं निडर होकर बोला "देखो, आप मुझे ऐसे नहीं ले जा सकते हो । हमारे सर जी का कहना है कि पहले आपको बताना होगा कि आप हमें गवाही के लिए लिए जा रहे हो या अभियुक्त के रूप में ? आपको गिरफ्तारी से पहले लिखित में सूचना मेरी बीवी को देनी होगी । मुझे एक वकील भी उपलब्ध कराना पड़ेगा । ये सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस हैं । अगर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस की पालना नहीं करोगे तो मैं तुम्हें सुप्रीम कोर्ट में घसीट लूंगा" । 

मेरी धमकी काम कर गई । यमराज जी सुप्रीम कोर्ट के नाम से थर थर कांपने लगे । वे पहले से भुक्तभोगी थे इसलिए उससे डरते थे । यमराज जी को थर थर कांपते देखकर मुझे बहुत सुकून मिला । जिससे दुनिया थर थर कांपती है , वह यमराज भी किसी से कांप सकता है , आज ही पता चला । आज सुप्रीम कोर्ट की ताकत का भी पता चल गया । 

मैंने यमराज जी से पूछा "सुप्रीम कोर्ट से इतना डरते हो , क्यों ? आपका क्या बिगाड़ लेगा वह" ? 

"भैया, मैं दो ही लोगों से डरता हूं । एक मेरी बीवी और दूसरा सुप्रीम कोर्ट । बीवी भी सुप्रीम कोर्ट से कम नहीं है । सुप्रीम कोर्ट की तरह कहती है "चित्त भी मेरी पट्ट भी मेरी और अंटा मेरे बाप का" । अब आप ही बताइए कि डरूं या नहीं । मुझे यमराज जी से सहानुभूति हो गई । बात तो सच ही कह रहे थे वे । 


मैं संभलते हुए बोला "इतनी बड़ी दुनिया है इसमें से हम ही मिले हैं क्या आपको ले जाने के लिए ? अभी तो हमने खुलकर रिश्वत भी लेना शुरू नहीं किया है । बॉस ने मुझे बहुत तंग किया है, अभी तो बॉस को बहुत सारी गालियां निकालनी बाकी है । मेरा कुलीग चड्ढा खुद को बहुत होशियार मानता है । वह हरदम मुझे नीचा दिखाने की कोशिश करता है । उस साले चढ्ढा की ऐसी तैसी करनी बाकी है अभी । मातहतों की एक भी एसीआर खराब नहीं की है अब तक इसलिए कुछ कामचोरों की एसीआर खराब करनी बाकी है । मेरी बीबी मुझ पर रोज रोज धौंस जमाती है अपने मायके वालों की , उसकी हेकड़ी निकालनी अभी बाकी है । अपने मां बाप को व्हाट्सएप, फेसबुक, कोरा पर व्यस्त रहने के कारण समय नहीं दे पाया हूं , उनकी सेवा करनी बाकी है । बेटे की अभी नौकरी नहीं लगी है , बेरोजगार है । आपकी कोई जान-पहचान हो तो आप ही लगवा दो । मेरी बेटी को अब तक कम से कम 50 लड़के दिखा दिये हैं पर उसे कोई पसंद ही नहीं आता है । इसलिए उसका विवाह नहीं हो रहा है । बिना उसका विवाह किये यदि मैं यमलोक चला जाऊंगा तो मैं अपने पुरखों को क्या मुंह दिखाऊंगा" ? मैंने सड़ा सा मुंह बनाकर कहा । 


मेरे तर्कों में दम थे । उन्हें सुनकर यमराज जी सोचने लगे । फिर धीरे से कहने लगे "बात में तो दम है तेरी । पर क्या करें भगवान का आदेश है इसलिए ले जाना तो पड़ेगा ही" । 

"भगवान का आदेश ? हो ही नहीं सकता है । भगवान जी से तो अपुन का बहुत पुराना नाता है । अरे , वे तो अपने 'खास' हैं खास ! आप उन्हें बदनाम क्यों कर रहे हो" ? 

हम भगवान जी का नाम सुनकर थोड़े जोश में आ गये । आफत के समय भगवान जी का नाम लेने पर आफत कम महसूस होती है । हमने इसीलिए उन्हें याद किया । 

यमराज जी ने सीधा मोबाइल भगवान जी को लगा दिया और मुझे पकड़ाते हुए कहने लगे "लो , भगवान जी से बात करो" 

मैंने मोबाइल की स्क्रीन पर देखा तो कृष्ण कन्हैया बांसुरी बजा रहे थे । मुझे देखते ही बोले 

"सुनो हरि, तुम्हें घबराना नहीं है । तुम्हें यमलोक में कोई परमानेंट लेकर नहीं जा रहे हैं , थोड़े दिनों के लिए ही ले जा रहे हैं । जल्दी वापस भेज देंगे" । 

मैं चौंका । क्या आजकल यमलोक में भी टेम्परेरी और परमानेंट "शिफ्टिंग" होने लगी है । मेरे भाव देखकर प्रभु खुद बोल पड़े । 

"वो क्या है कि यमराज जी की ससुराल में इनके साले की शादी है । इनकी पत्नी मेरे पास आईं और कहने लगीं "सर, मेरे भैया की शादी है और मेरा भैया इकलौता भाई है हम सात बहनों के बीच । बड़ी मुश्किल से ये शुभ दिन आया है । इस अवसर पर हम सभी बहनें एक महीने के लिए अपने मायके जा रही हैं । सब बहनें अपने अपने पतियों को भी ले जा रही हैं । यदि मैं लेकर नहीं गई तो मेरी नाक कट जायेगी ना ? फिर मैं कटी नाक लेकर कहां जाऊंगी" ? और वह फफक-फफक कर रो पड़ी । अब आप ही बताइए कि मैं उसकी बात नहीं मानता तो वह मुझे पहले महिला आयोग में और फिर सुप्रीम कोर्ट में घसीट ले जातीं । मेरे पास बंगाल की तरह तो असीमित शक्तियां हैं नहीं जो महिला आयोग को अपने एरिया में घुसने तक न दे । ई डी , सीबीआई के अधिकारियों के सिर फुडवा दे और सुप्रीम कोर्ट से फिर भी रिलीफ ले ले । ये चमत्कार तो सिर्फ दीदी और सरजी ही कर सकते हैं, हम जैसे नहीं । हमसे और हमारे नाम से तो वैसे ही चिढते हैं ये जज लोग । इसलिए हमने उसकी बात मान ली और यमराज को 1 महीने की छुट्टी स्वीकृत कर दी" । 

"ये तो बहुत अच्छा किया आपने । लेकिन मुझे क्यों ले जा रहे हो वहां पर ? मैंने आपका क्या बिगाड़ा है प्रभो" ? हमारे नैनों से सावन की झड़ी लग गई थी । मैं मोबाइल के सामने ही नत मस्तक होकर प्रणाम करने लगा । 

"यमराज जी की अनुपस्थिति में कोई तो अधिकारी होना चाहिए जो यमलोक को सुचारू रूप से चला सके ! जब इसके लिए उचित अधिकारी की तलाश प्रारंभ हुई तब आपके नाम का प्रस्ताव आया तो हमने हरी झंडी दिखा दी । अब आप ही बताइए कि हमने क्या ग़लत किया । अरे , आपको तो मुफ्त में यमलोक की यात्रा करने को मिल जायेगी और आप इस ट्यूर का बिल भी उठा लेना । "आम के आम और गुठलियों के दाम" टी ए बिल भी उठाकर सरकार से पैसा भी ले लो और मुफ्त में यात्रा भी कर लो । सोने पे सुहागा है ये ऑफर तो । चलो जल्दी करो , वक्त बहुत कम है" । 

भगवान के द्वारा बताई गई "स्कीम" सुनकर हमारी बांछें खिल गईं । हमने मन ही मन सोचा कि यमलोक जा रहे हैं क्या पता वहां से कुछ अनमोल तोहफ़े भी मिल जायें ? यह सोचकर हम तुरंत चलने को तैयार हो गये । लेकिन अचानक याद आया कि यदि मैं एक महीने अपनी सीट पर नहीं बैठूंगा तो हाजिरी रजिस्टर में मेरी अनुपस्थिति लग जायेगी । फिर एक महीने की तनख्वाह नहीं मिलेगी और इस कारण सर्विस में ब्रेक लग जायेगा । इससे तो बहुत नुकसान हो जायेगा ! हमने भगवान जी को अपनी समस्या बता दी । भगवान जी ने कहा "तुम्हारे ऑफिस में पता ही नहीं चलेगा कि तुम यहां हो कि नहीं । फिर कैसा डर" ? 


आश्वस्त होने के बाद हम उन यमदूतों के साथ यमलोक जाने लगे । रास्ते में हमें भांति भांति के लोग मिल रहे थे । वे सबके सब रो रहे थे और हम उन्हें रोते देखकर जोर जोर से हंस रहे थे । हमें हंसते देखकर एक बुढऊ जिसे दो यमदूत लेकर जा रहे थे, बोला "इस जंतु को कहां ले जा रहे हो महाराज ? यमलोक में "स्टैंड अप कॉमेडी" का कोई प्रोग्राम रखा है क्या ? ये और तो किसी काम का लग नहीं रहा है" । 

हमें उस पर बहुत गुस्सा आया पर हम चुप ही रहे । सोचा कि अब एक महीने तक हम ही यमराज रहेंगे । तब इस बुड्ढे की सारी अकड़ निकाल देंगे । 


यमलोक की हालत देखकर हमारी जान निकल गई । अंदर बाहर , गैलरी में यहां तक कि "सुविधा कक्ष" में भी लोगों की भीड़ ही भीड़ नजर आ रही थी । चारों ओर हाहाकार मचा हुआ था । बच्चे, बूढ़े, जवान सभी उम्र के लोग खड़े थे वहां । पैर रखने की भी जगह नहीं थी यमलोक में । 

हमने कहा "इतनी भीड़ कैसे" ? 

"क्या बतायें ? पहले कोरोना फिर रूस यूक्रेन युद्ध और फिर इजरायल गाजा का युद्ध । बीच बीच में डेंगू वगैरह का ताण्डव । कभी ट्रेन हादसा तो कभी कुछ और । यह सिलसिला लगातार चल ही रहा है इसीलिए ये भीड़ इकट्ठी हो गई है । अब आप आ गये हैं तो इन्हें संभाल लीजिएगा" 

शेष अगले अंक में 



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