Subhadeep Chattapadhay
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सदिया बीत जाती है कवि बनने और कहलाने में, वैसे मुझ मुसाफिर का सफ़र भी सदियो तक ही है । . . —subhadeep chattapadhay

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क्या आदमी हूँ मैं । ये जवाब क्या मैं आदमी हूँ ? ये सवाल बन जाता है, हर बार जब कुछ ऐसा देखता हूँ आँखो के समक्ष जो मैं आदमी रह कर देखना नहीं चाहता ।

मुझे प्रेम के हर रूप से मिलकर नाकामयाब बनना है । दरअसल मुझे लेखक क़ामयाब बनना है ।।

Blow a candle not only In front of Jesus. But also blow that Candle in your heart. So that , the light of that candle , will empower your view's.

के आओ कभी हमारे भी करीब । तो कुछ बाते कर पायेंगे । जो कभी चले गए इस जहान से, तो कुछ लम्हे ही याद रह जायेंगे | –Subhadeep

मत चिल्लाओ रे फ़रिश्ते दुनिया बेहरी हो चुकी है। बेकार में ही समय बर्बाद कर रहे हो , ये तो जीते जी मर चुकी है ।

ये ज़माना बड़ा मज़ेदार है थोड़ा खुलकर जीना तो सीखो । यु रूठे रूठे से क्यों हो , ज़रा प्यार करना तो सीखो । —Subhadeep Chattapadhay

सोचा दुनिया को एक नयी सोच दू, आओ तुम सबको मेरे कलम की ओर मोड़ दू। ©Subhadeep Chattapadhay

चाय और इश्क़ ,एक ही सिक्के के दो पहलु है। एक सुकून देता है ,तो दूजा दर्द।। ©Subhadeep Chattapadhay

I'm standing on the land of fake people People carrying great Hatred. Hatred makes them inhuman. inhumans scatter themselves in groups. Groups finally take it to the graveyard. ©Subhadeep Chattapadhay


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