सदिया बीत जाती है कवि बनने और कहलाने में, वैसे मुझ मुसाफिर का सफ़र भी सदियो तक ही है । . . —subhadeep chattapadhay
Share with friendsक्या आदमी हूँ मैं । ये जवाब क्या मैं आदमी हूँ ? ये सवाल बन जाता है, हर बार जब कुछ ऐसा देखता हूँ आँखो के समक्ष जो मैं आदमी रह कर देखना नहीं चाहता ।
Blow a candle not only In front of Jesus. But also blow that Candle in your heart. So that , the light of that candle , will empower your view's.
के आओ कभी हमारे भी करीब । तो कुछ बाते कर पायेंगे । जो कभी चले गए इस जहान से, तो कुछ लम्हे ही याद रह जायेंगे | –Subhadeep
मत चिल्लाओ रे फ़रिश्ते दुनिया बेहरी हो चुकी है। बेकार में ही समय बर्बाद कर रहे हो , ये तो जीते जी मर चुकी है ।
ये ज़माना बड़ा मज़ेदार है थोड़ा खुलकर जीना तो सीखो । यु रूठे रूठे से क्यों हो , ज़रा प्यार करना तो सीखो । —Subhadeep Chattapadhay