Poet
घोलते है मन में जहर बढ़ा रहे द्वेष को घोलते है मन में जहर बढ़ा रहे द्वेष को
पर मैं तो हूँ नर रूप में, सो मुझ पर हुआ आघात। पर मैं तो हूँ नर रूप में, सो मुझ पर हुआ आघात।
वो बूंदें कैसी थी जिन पर दर्पण भी शोक मनाता है, वो बूंदें कैसी थी जिन पर दर्पण भी शोक मनाता है,
सूख गयी धरती की छाती मरुथल बना जहान, रहम करो भगवान रहम करो भगवान। सूख गयी धरती की छाती मरुथल बना जहान, रहम करो भगवान रहम करो भगवान।
अनकहे कुछ शब्द अंतिम, सोचकर कई रातें मां सो ना पायी॥ अनकहे कुछ शब्द अंतिम, सोचकर कई रातें मां सो ना पायी॥
तो सुनो शुभम् अब अपनी अपनी साधो मास्क लगाओ नित काढ़े की चुस्की मारो।। तो सुनो शुभम् अब अपनी अपनी साधो मास्क लगाओ नित काढ़े की चुस्की मारो।।
एक ने प्रेम करना सिखाया दूजे ने प्रेम का तात्पर्य बताया। एक ने प्रेम करना सिखाया दूजे ने प्रेम का तात्पर्य बताया।
जब तेरी आंखो से आंसू की बूंदे टपकेगी अधर को चूमेंगी जब भूली बिसरी यादें तुमसे। जब तेरी आंखो से आंसू की बूंदे टपकेगी अधर को चूमेंगी जब भूली बिसरी यादें तु...
स्वार्थ पथ को त्याग कर मनुष्यता का पालन करो देह से बाहर निकल कर अपने - अपने राम से । स्वार्थ पथ को त्याग कर मनुष्यता का पालन करो देह से बाहर निकल कर अपने - ...
यदि हाथ एक भी दुःशासन के अब पांचाली का आँचल फाड़ेगें। यदि हाथ एक भी दुःशासन के अब पांचाली का आँचल फाड़ेगें।