Prabha Gawande
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मेरा नाम प्रभाविजय गावंडे है। मैने एम.ए. हिन्दी में किया है। मेरी रूचियाँ हैं-अच्छा साहित्य व धर्मग्रंथों का अध्ययन-लेखन गज़ल, कविता,आलेख, कहानी और संगीत।मैं एक गृहणी भी हूँ, अच्छा खाना बनाना और मेहमाननवाजी मेरा शौक है। ऐसे लोगों से दोस्ती करना पसंद है, जिनमें कोई न कोई अच्छी कला हो। धन्यवाद

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श्राद्धों के ये दिन पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए होते हैं। मैने अनुभव किया है, ऐसा प्रतीत होता है,जिस क्षण मैने उन्हें याद किया और सहायता माँगी वे पास होते हैं। ये आप भी अनुभव करके देखिए। सारे काम सफल होते हैं। अलौकिक अनुभूति, उनके सामीप्य के अद्भुत अनुभव होंगे। बहुत श्रद्धा से उन्हे याद करें, श्रद्धा से चढ़ाया एक फूल भी उन्हे प्रसन्न करने के लिए बहुत है। बुजुर्गों की सुश्रुषा सेवा करें

स्वर्ग की हम कल्पना ही कर सकते हैं। जैसे बहुत सुंदर सजा घर और उसमें रहनेवाले बहुत प्रेम से रहते हैं, तो उस घर को स्वर्ग की उपमा दी जाती हैं। वैसे कश्मीर को भी शायर धरती का स्वर्ग कहते हैं, बेसिकली अपसराओं और देवताओं के रहने की खूबसूरत जगह को स्वर्ग क

हर व्यक्ति के अंदर एक कलाकार होता है। पर सिनेमा के परदे का कलाकार हर कोई नही बन.पाता।इसके लिए बहुत मेहनत हिम्मत लगन व धैर्य की आवश्यकता होती है। बहुत मँझने के बाद ही कलाकार निखरता है। हमें भी मँझकर कलाकार बनना है, फिलहाल देशबंद है और कलाकार घर में ।

दुनिया में असंभव कुछ नही। वो कहते हैं न आसमान में भी छेद हो सकता है, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों। एक आदमी जिद में कुंआँ खोदना चालूकरता है और पूरा तीस फीट खोद डालता है। दुनिया में बडी से बडी चीजों का आविष्कार इंसान ने किया है, प्लेन, ट्रेन, आदि।

व्यक्ति का मन एक बड़ा संग्रहालय है। वैसे तो सरकार ने पुरातत्व और पुस्तकों के व वस्तुओं के सहेजने के लिए बड़े बडे संग्रहालय बना रखे हैं। मगर कहीं हम घर में अनावश्यक सामान जमा करके घर को संग्रहालय तो नही बना रहे , ध्यान दीजीएगा। घर और मन को संग्रहालय न ब

अपने पेशे के प्रति पूर्ण समर्पण व प्यार होना चाहिए। मैं नर्स हूँ , सुबह आठ बजे से अस्पताल में और घर पता नही कब, क्योंका कोरोना मरीज बहुत आ रहे हैं। मुझे विश्वास है कि हम उन्हे जरूर स्वस्थ कर पाएंगे,यह विश्वास है। शाम तक थक जाती हूँ जीवन का भरोसा नही।

व्यक्ति के लिए सबसे पहले परिवार होता है। जो पारिवारिक मूल्यों को समझ गया, वह समाज और देश के लिए भी अपनी जिम्मेदारी अच्छे से निभाता है। परिवार ऐसी संस्था है, जहाँ माँ पिता बच्चे दादा-दादी और अन्य सदस्य मिलकर रहते हैं। आज परिवार टूट रहे हैं दुख है।

पिता एक मजबूत वटवृक्ष होते हैं। हर परिस्थिति में परिवार की रक्षा करते, पोषण करते ,और सहारा होते हैं। पिता बेटे का आदर्श होते हैं,।हर बेटी पिता में अपना हीरो.देखती है। मैने पिता में देखा है,और इसलिए मैं इतनी मजबूत हूँ। धन्यवाद बाबा।

मैं तुम्हारे इशारों पर नाचनेवाली दासी नही हूँ, ना ही तुम्हारा कोई खिलौना, मैं तुम्हारी अर्धांगिनी हू


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