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अपनी पीड़ा समझाना...दर्द उठे, तो सूने पथ पर पाँव बढ़ाना, चलते जाना...बस चलते जाना !!' अपनी पीड़ा समझाना...दर्द उठे, तो सूने पथ पर पाँव बढ़ाना, चलते जाना...बस चलते जान...
दोनों के जीवन की गाड़ी धीरे धीरे गति पकड़ने लगी दोनों के जीवन की गाड़ी धीरे धीरे गति पकड़ने लगी
हालांकि बाद में मुझे बहुत पछतावा भी हुआ,जब घर लौटी तो ये गायब मिले। हालांकि बाद में मुझे बहुत पछतावा भी हुआ,जब घर लौटी तो ये गायब मिले।
जो सदैव उस स्थान के बारे में ही सोचती रहती हैं जहाँ उनकी नाल गड़ी थी। जो सदैव उस स्थान के बारे में ही सोचती रहती हैं जहाँ उनकी नाल गड़ी थी।
,,उन दिनों रुपाली करीब महीने भर से अनुपस्थित थी। उसकी माँ बीमार थीं। ,,उन दिनों रुपाली करीब महीने भर से अनुपस्थित थी। उसकी माँ बीमार थीं।
गे हाथों जो पकड़ा गया था। गुलेल से कंचा चलाने वाले का तो जिक्र भी नही हुआ l गे हाथों जो पकड़ा गया था। गुलेल से कंचा चलाने वाले का तो जिक्र भी नही हुआ l
मड गार्ड का महत्त्व समझ में आ गया। आठवी क्लास की बात है। मड गार्ड का महत्त्व समझ में आ गया। आठवी क्लास की बात है।
आखिर पचास पचास रुपए के योगदान पर जनता ने सहमति बनवा ही दी। आखिर पचास पचास रुपए के योगदान पर जनता ने सहमति बनवा ही दी।
बहुत पक्की गोलियां खेले हुए हैं। हम तो उनको झेले हुए हैं। बहुत पक्की गोलियां खेले हुए हैं। हम तो उनको झेले हुए हैं।
कालीन में नक्शा बना था जल्दी ही मंत्रिमंडल ने नक्शे के रास्तों को समझ लिया । कालीन में नक्शा बना था जल्दी ही मंत्रिमंडल ने नक्शे के रास्तों को समझ लिया ।