Varsha Nerekar
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अक्सर हर किसीको वही है भाता जो कभी सहजता से हाथ न आता

तारीफों के पूल बांधने वाले अक्सर कांधे पे बंदूक रखते है

जनाब बदला जमाना यहां संभल जाओ आजकल नेकी और हमदर्दी खुदके बरबादी का कारण बन जाती है

भोर की बेला देती संदेश हिम्मत से आसमां की बुलंदी छुले छोड दो रंजिशे जहां की वहां अगर शांती से है जिना यहां जीना सार्थक हो ऐसा कर्म कर तू आगे बढ़ता जा समय की धारा किसी के बस में नहीं और ना हालात बस में है जिलो जिंदगी मिलती है मंज़िल तू चलता जा शायद कभी दुबारा मौका न मिलेगा छोड जाओ दुःख की गलियां कामयाबी मिलेगी सिखाता सवेरा नया होता ही है बसेरा भी नया बस उमंग के पंख लगाए तू स्वप्न पखेरू बनकर उडता

सन्नाटा सहना मौत का दुसरा नाम वो ज़िंदगी नहीं बेबस हालात देख कहे जमाना फरीश्ते से कम नहीं ए मालिक कुछ तो रहम कर इन्सान बना तो जिने दो या मौत दे दो तेरे दरबार में कुछ जादा गुजा़रीश नहीं

Start a new journey with a new sunrise Focus your goals make decisions wise Just arise for yourself

नको ऐश्वर्य जास्त थोडे असावे मस्त उपकाराचे कर्ज नको अपराध्याचे जीवन नको

कधी घातक कधी सुंदर स्वर तेव्हा होतो कातर संयमाने क्षण पार करावे वळणावर पुढे सारे धूसर कसोटीचे क्षण अचानक दबा धरून बसतो काळ शांत सुखद जरा म्हणता कोलाहल उठतो रानोमाळ

संकट की घडी टल जाएगी जीवन एक अनोखा मेला रखना श्रद्धा और सबुरी भक्त मेरे तू नहीं अकेला


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