नदी - सी थी तुम...! नदी - सी थी तुम...!
एक गीत। एक गीत।
एक कविता - : 'सबसे भूखा आदमी' एक कविता - : 'सबसे भूखा आदमी'
तन्हाई में अक्सर ज़ेहन में एक ख़्याल आता है छू कर मेरे दिल को एक टीस छोड़ जाता है... तन्हाई में अक्सर ज़ेहन में एक ख़्याल आता है छू कर मेरे दिल को एक टीस छोड़ जाता ह...
लेकिन जीवन में जीव खुद का ही, भूत, भविष्य, वर्तमान बना लेता है और तीन पैरों के साथ चलकर , रोशनी क... लेकिन जीवन में जीव खुद का ही, भूत, भविष्य, वर्तमान बना लेता है और तीन पैरों के...
मेरा बचपन, मेरे सपनों में ही रह गया...! मेरा बचपन, मेरे सपनों में ही रह गया...!