आग से तुम न खेलो!
आग से तुम न खेलो!
हिम्मत कितनी तुझ में है?
क्या सिंह गर्जना सुन पायेगा?
है शक्ति जितनी जो़र लगा ले!
तू तिनका सा जल जायेगा।।
आग से तुम न खेलो पाक!
पलभर में मिट जाओगे!
छल-छद्मयुद्ध फिर छेड़ा तो!
रॉफेल तुझे कर देगा खाक।।
ये सर्जिकल शायद भूल गये!
गल्ती से पुलवामा कर बैठे।
हम ले आग परिंदे उड बैठे!
लो!साँप-संपोले राख भये।।
ये जिन्ना का पाकिस्तान नही
क्या स्वर्ग-धरा को छू पायेगा?
क्या हिंद को आँख तरेरोगे?
क्यों दशा इकहत्तर याद नही?