मंगल नाम हो पावन नाम हो , राम के नाम का उत्तम जप हो। मंगल नाम हो पावन नाम हो , राम के नाम का उत्तम जप हो।
आखिर झूल गया फांसी पर हंसते हंसते वो दीवाना। आखिर झूल गया फांसी पर हंसते हंसते वो दीवाना।
वक्त निकलता जा रहा कैसी बेतहाशा ये दौड़ है। वक्त निकलता जा रहा कैसी बेतहाशा ये दौड़ है।
माता-पिता की ममता,अपार विश्वास, सिखाते हैं जीवन की मूल बातें खास। माता-पिता की ममता,अपार विश्वास, सिखाते हैं जीवन की मूल बातें खास।
यह साल अब देकर चला, खट्टी मीठी याद। कहीं 'साल' भर सालता, कहीं भरे उन्माद। यह साल अब देकर चला, खट्टी मीठी याद। कहीं 'साल' भर सालता, कहीं भरे उन्माद।
जबसे साथ तुम्हारा पाया, मन- वीणा के तार बजे। जबसे साथ तुम्हारा पाया, मन- वीणा के तार बजे।
झुर्रियां यूं ही पेशानी पे नहीं होगी कई दिन,धूप-छांव ढल चुकी होगी। झुर्रियां यूं ही पेशानी पे नहीं होगी कई दिन,धूप-छांव ढल चुकी होगी।
पत्तों में आग लगाते हो, कितनों का जीवन जल जाता है पत्तों में आग लगाते हो, कितनों का जीवन जल जाता है
दौड़ रहे हैं आँख मूँद कर सपनों के पीछे गिद्ध, छडूंदर, घोड़ा, हाथी, चमगादड़, तीतर।। दौड़ रहे हैं आँख मूँद कर सपनों के पीछे गिद्ध, छडूंदर, घोड़ा, हाथी, चमगादड़, ...
शिव और पार्वती मिलन की है ये रात, श्रद्धा विश्वास होते दिव्य प्रेमी सौगात। शिव और पार्वती मिलन की है ये रात, श्रद्धा विश्वास होते दिव्य प्रेमी सौगात।
क्यों माया में घुटता स्वप्न, विश्वास का।। क्यों माया में घुटता स्वप्न, विश्वास का।।
वक्त का हथौड़ा' हरेक ईमानदार इंसान पर अंधाधुंध पड़ता है। वक्त का हथौड़ा' हरेक ईमानदार इंसान पर अंधाधुंध पड़ता है।
कपड़े खराब होने की परवाह नहीं हमें तो टिकोरा चाहिए कपड़े खराब होने की परवाह नहीं हमें तो टिकोरा चाहिए
कोई बहुत रूपसी लड़की का रिश्ता तो नहीं आ रहा। कोई बहुत रूपसी लड़की का रिश्ता तो नहीं आ रहा।
अंगुलियों में गिनो जिंदगी छोटी सी है अंगुलियों में गिनो जिंदगी छोटी सी है
चांद से मिल चांदनी इठलाती है , आसमान की सैर कर आती है। चांद से मिल चांदनी इठलाती है , आसमान की सैर कर आती है।
शायद बदल जाएं हालत मेरे , मैं भी यही दुआ करूंगा शायद बदल जाएं हालत मेरे , मैं भी यही दुआ करूंगा
इसी जमीं पर रंक था जो, इसी जमीं पर राजा है,। इसी जमीं पर रंक था जो, इसी जमीं पर राजा है,।
पेड़ों के पत्तों से झर-झर करते हुए। मानो पेड़ के पत्ते की बरसात कर रहे हैं। पेड़ों के पत्तों से झर-झर करते हुए। मानो पेड़ के पत्ते की बरसात कर रहे हैं।
मुस्कराकर अपनी ही ख्वाहिशों को तोड़ देता है शायद उसे ही पिता कहते हैं। मुस्कराकर अपनी ही ख्वाहिशों को तोड़ देता है शायद उसे ही पिता कहते हैं।