आज मुझे जीना है
आज मुझे जीना है
"आज मुझे आवाज़ तुम दो, आज मुझे तुम्हारी गोद में सर रखकर सोना है, आज मेरी खुशियों का सरमाया बन जाओ आज हल्का-सा जी लूँ मैं"
आज मुझे महकना है, आज मुझे सराबोर कर दो, ऐसे बरसो की नखशिख भीग जाऊँ..
कोरी है काया, मन भी सूखा है आबशार कोई ऐसा बनों जो मुझको समा ले अपने भीतर..
मुझे छुओ, मुझे प्यार करो वह आग बन जाओ जो जलाती है बैसाखी दुपहरी में पूरी कायनात को..
तुम चाँद हो मैं प्रतिबिम्ब सी मुझे अपनी छवि बना लो मुझे झिलमिलाना है तुम्हारी पुतलियों के भीतर..
आज मुझे झूमना है, आज मुझे संगीत कर दो वह रागिनी बन जाओ जो मल्हार बन बादल को मजबूर करती है बरसने को..
आज मुझे पीना है, आज मुझे चखना है ज़िंदगी के हर रस को, तुम जश्न बन जाओ तुम साँसें हो मुझमें ज़िंद भर जाओ..
आज मुझे मरना है तुम आख़री साँस बनों, सर को मेरे सिरहाना सीने का देकर लबों से मेरे अधरों को शिद्दत से चूमकर मुखाग्नि का मान दो..
मर जाऊं पीकर उस मदीरा के सीप को चाहती हूँ तुम्हें इतना की चाहती हूँ इतना अंतकाल जब दस्तक दे तब मेरे मौत की वजह भी तुम बनों।