आजादी जिनेका सही तरिका
आजादी जिनेका सही तरिका
आजादी जिनेका सही तरिका
अपनी मनोगुलामी छोडना है
गुलाम बनो उन्नती का
ना कि फिजुल बातोंका
आझादी अपना स्वराज्य है
आझाद देश आबाद रहे
मनोरंजन के साथ साथ
सबको असलियत ज्ञात रहे
लिखा पढ कर ज्ञानी
बन गये वतन वाले
अब कौन बचाये उनको
जिनके खाणे-पिणे के लाले
उन्नती का द्वार खुद
यहां नही बनाया ज्याता
जब तक हमको तेरी
और मेरी आझादी का
ख़्याल करना नही आता
क्या तानाखोर कभी कहीं
टिक पायेगा जहां मे
जिसको अपनी गलतीयों कि
सजा आये दूसरोंपे लगाने
आझादी का मतलब सिर्फ
मेरा मेरा नही होता
जहां हमारे अलावा भी
औरों का घर बसा होता।