आओ रिश्ते जोड़ें
आओ रिश्ते जोड़ें
इस लॉकडाउन को सजा न मानो
इसको तुम एक अवसर जानो
अवसर फिर बचपन जीने का
अवसर फिर खुद से मिलने का।
चलो अपनों संग मिल बैठें सारे
सोशल डिस्टेंसिङ्ग, पर अपनाएं
खोलें फिर यादों के एलबम
मिले प्रथम बार जब तुम और हम।
आओ याद सुनहरी खोलें
एक दूजे के मन से बोलें
अपनी हर बीती को विचारें
एक दूजे की बाट निहारें।
ये अवसर है दिल के मिलने का
रिश्तों से रिश्ते जुड़ने का
इस पल में जो दूर बसे हैं
दे दिलासा, ढांढस बंधाएं।
ये सच है, तकलीफें भी बड़ी हैं
कल-कारखाने बंद पड़े हैं
कामगारों पर आफत है आयी
व्याकुल, विह्वल आंखें भर आईं।
कितने घर चूल्हा बंद हुआ है
हंसी-ठिठोली मंद हुआ है
बच्चों के चेहरे उदास हैं
सागर समीप, फिर भी प्यास है।
ये अवसर है उनसे मिलने का
उनके रिसते घावों को भरने का
जोड़ें मानवता के रिश्ते
प्यार, वेदना, सम्मान के रिश्ते।
जो पीड़ित हैं इस त्रासदी से
उनका स्वास्थ्य निरीक्षण करना
बेहतर सुविधा देकर उनको
उनके हर घावों को भरना।
ऐसे ही व्यवहारों से हम
सतयुग की शुरुआत करें
प्रेम, समर्पण, भावप्रवणता से
सुघड़ भविष्य निर्माण करें।