अधूरापन
अधूरापन
कभी कोई सवाल ताउम्र सवाल बनकर ही रह जाता है
कभी इतना वक़्त होने के बावजूद वक़्त कम पड़ता है,
कभी कई सारी बातें होते हुए भी कुछ अधूरी रह जाती हैं
कभी सारी ख़्वाहिशें मुकम्मल होते भी सुकूँ नहीं मिलता है
कभी कितनी मुलाक़ातें होती है फिर भी आस रह जाती है
कभी पूरे तृप्त होते हैं पर कुछ तो प्यास बाकी रह जाती है
कभी कई सारी दौलत होते हुए भी ख़ुशी की कमी लगती है
कभी प्रकृति के सौंदर्य में डूब जाओ और स्वयं को भूल जाओ
जब होगी भीतर ईश्वर की अनुभूति, तभी पूरा होगा ये अधूरापन।