" ऐसा कोई पहचान बना "
" ऐसा कोई पहचान बना "
बेहिसाब नहीं जिन्दगी , जिन्दगी को बेमिसाल बना
ख्वाहिश नहीं जिन्दगी को लक्ष्य की बौछार बना ।
शख़्सियत पैसो से नहीं हुनर से हो ऐसा कोई पहचान बना ।।
कुछ छाप तू छोड़ यूं जिन्दगी पर की कोई तुझे कभी भूल ना पाए
किसी को मंजिल अगर पानी हो कभी तो राह में तेरी मिसाल दिए जाए।
ऐसा कोई अपना ईमान बना , ऐसा कोई पहचान बना ।।
छोड़ तू जिन्दगी को सोच-सोच कर जीना
कुछ जोश में तू कर गुजर ।
ना मिलेगी मंजिल तो क्या, तू ठोकर से मिले सीख से लड़ ।
जिन्दगी में खुद का कोई अहम हो , ऐसा कोई पहचान बना ।।