अनकही भावना
अनकही भावना
1 min
493
कितनी पाती लिखी तुमको,
पर भेज नहीं पायी,
अपने दिल के भावों को,
तुमसे कह नहीं पायी।
सोचा तुम हँसोगे ,
झेल नहीं पाऊँगी,
तुम किसी से कह दोगे,
सह नहीं पाऊँगी।
प्रियतम मेरे भावों की,
यह पाती जब भी पाओगे,
याद करोगे तब तो हम को,
पर कुछ कह ना पाओगे ।
दूर कहीं होंगे हम तुमसे,
तब हमें नहीं तुम पाओगे,
कोई तुम्हारा अपना था,
यह तो तब जान पाओगे।