अर्धांगिनी
अर्धांगिनी
माथे पर बिंदिया की चमक
हाथों मे कँगने की खनखन,
मेंहदी की खुशबू रची बसी
माँग में सिंदूर की लाली सजा
सुहाग का जोड़ा पहन
पैरों मे महावर लगा
अग्नि को साक्षी मान
बंधी सात वचनों मे
बनी में तुम्हारी सुहागन!
मन में उमंग लिये
तुम्हारे संग चली,
छोड़ के अपना घर अँगना।
हाथों की छाप लगा द्वारे
आँखो में नए सपने सजाए
तुम संग आई, तुम्हारे
घर सजना ।
सामाजिक बंधन
रीति रिवाज़ों में
तुम्हारी जीवनसाथी,
तुम्हारी अर्धांगिनी।
अर्धागिनी, अर्थ क्या
अपना घर छोड़ के आने से
तुम्हारे घर तक आने का सफर
बन गया हमारा घर
मेरे और तुम्हारे रिश्ते नाते
अब हो गए हमारे रिश्ते,
मेरे तुम्हारे सुख दुख,
मान सम्मान
अब सब हमारे हो गए।
एक दूसरे के गुण दोषो को
आत्मसात कर
मन का मन से मिलन कर
मैं और तुम एकाकार हो गए।
जीवन के हर मोड़ पर
एक दूसरे के पूरक बन
जीवनसाथी के असली अर्थ को
बन अर्धांगिनी तुम्हारी जी रहे हम।
ये चाँद सदा साक्षी रहा
हमारे खूबसूरत मिलन का
सुहाग की सुख समृद्धि रहे
ये श्रृंगार सदा सजा रहे
बस यही है मंगलकामना ।