अथक, अकेले चले पुरोधा
अथक, अकेले चले पुरोधा
अथक, अकेले चले पुरोधा
कुछ क्षण तो विश्राम करो
एक पल को भी ध्येय ना भटका
अब चिंता छोड़ो, ध्यान करो।
हो कर्मयोगी, हो कलाप्रेमी तुम
कुछ नया लिखो, संगीत सुनो
है चुम्बकीय व्यक्तित्व तुम्हारा
सबको जोड़ा, अब खुद से जुड़ो।
प्रतीक्षारत हैं यात्राएं अभी तो
स्वयं को फिर तैयार करो
पूर्ण हुआ एक महासमर अब
आंनद मनाओ, आह्लाद करो।
निर्भीक, निरंतर, स्वयंसिद्ध तुम
निज का भी थोड़ा मान करो
तुम्हारी ऊर्जा से हतप्रभ सब
अब चैन की एक-दो श्वास भी लो।
मां भारती के पुत्र, स्वयंभू
जुग-जुग जियो, आयुष्मान रहो।