बड़गद की छाँव
बड़गद की छाँव
बरगद की छाँव पिता समान होते हैं
बरगद की छाँव रक्षापाल होते हैं
पंछी उस पर घरौंदा बनाते हैं
अपने चुजे को उसमे सजाते हैं।
कितना भी वारिश हो जाये
कितना भी धूप खिले फिर भी
उनका कुछ बिगाड़ ना पाते
बरगद की छाँव पिता समान होते हैं।
बरगद की छाँव रक्षापाल होते हैं
पति के नाम की कलेवा चढ़ाती
लम्बी उम्र की कामना करती
सुहागिनें बरगद की पूजा करती
यमराज से पति की दीर्घायु मांगी थी।
सावित्री द्वारा ये कार्य हुआ था
अपने पति को वापस पाया था
सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं
बरगद की छाँव पिता समान होते हैं
बरगद की छाँव रक्षापाल होते हैं।