बेटियां
बेटियां
राशन कार्ड से नाम कट जाता है
जो घर अपना कहती थी वो
उसका हर सदस्य पराया हो जाता है
कितना भी पढ़लिखकर कमाने लगे
उसका पैसा नहीं लिया जाता है
हर पल उसे पराया दिखाया जाता है
औपचारिकताओं को जताया जाता है
हर जगह पता बदल जाता है
एक रस्म होते ही सरनेम बदल जाता है
यूँ तो ससुराल फिर अपना घर कहलाता है
मग़र उस घर में कोई हक नहीं दिया जाता है
उसकी हर आदत को बदल दिया जाता है
जिंदगी भर उसे परखा जाता है
ये परिवर्तन "शुभ-विवाह" कहलाता है
अपने माँ बाप के घर जाने की इजाज़त
अब कोई और देता है
जिसके लिए नाम पता और पहचान बदली
वो चाहे जब पराया कर देता है
क्या कोई पुरुष कभी ये कर पायेगा ?