"भैया कैसी होगी वह स्त्री, पुत्र रत्न अपना खोकर, बस दिन अपने काट रहीं हूँ, बोझिल स्मृतियों से लड़कर, "भैया कैसी होगी वह स्त्री, पुत्र रत्न अपना खोकर, बस दिन अपने काट रहीं हूँ, बोझिल...