भारत गुणगान
भारत गुणगान
है स्वप्न में तू, लोचन में तू
तू ही है अंतरतम मेरे.
इस मृतिका में प्राणांत करूँ
इस रेणु में जीवन मेरे.
हे विश्ववंदनी, जगत नंदिनी
देवधरा, भारतमाता.
हे मार्गदर्शिका, सकल विश्व की
तर्पित्व्य मही, जग विख्याता.
गाऊँ तेरी ही गाथा मैं
जीवन पर्यंत, जब तक मैं रहूँ.
इस रोम-रोम में बसी है तू
न्योछावर तुझपर जान करूँ..
न्योछावर तुझपर जान करूँ..