भक्ति सागर साई उनका नाम
भक्ति सागर साई उनका नाम
बारह बरस का आया बालक ,
कर दिया ऐसा कमाल
धूनी जमा कर माया से अपने,
पावन किया शिरडी गांव रे भईया
साई पड़ा उनका नाम रे भईया,।
साई पड़ा उनका नाम रे भईया,।।
सबसे अलग थे वो ,
रहते फकीरी वेष में ,
अलख जगाते अल्लाह का ,
जप राम का करते थे ,।।
मालिक सबका एक है ,
यह संदेशा सबको देते थे, ।।
धूनी जलाकर मस्जिद में ,,
किया अनोखा काम , ।।
रे भईया साई पड़ा उनका नाम
साई पड़ा उनका नाम रे भईया,।।
प्यार से करते ,फटकार से करते ,
वह करते सबका इलाज ,।।
क्षण में तासा ,क्षण में मासा,
क्षण में होते नाराज ,।।
बड़ा अजब था ,बड़ा गजब था,
उनका था मस्त मिजाज ,।।
साई पड़ा उनका नाम रे भईया,।।
साई पड़ा उनका नाम रे भईया,।।
हाथ में सोटा, बदन पर कफनी ,
खाते भिक्षा मांगकर ,
ना मान की चिंता ,
ना अपमान का क्लेश ,
ना रखते वो मन में द्वेष ।।
ना कोई शत्रु ना सखा कोई ,
सब थे एक समान ,।।
साई पड़ा उनका नाम रे भईया,।।
रे भईया साई पड़ा उनका नाम ,।।