Shamim Shaikh
Abstract
बहुत दिनो बाद आज दिल धड़का है
कर लो चाँद फ़...
जन्म दिन मुबा...
परिश्रम ही पू...
बचपन का सफ़र!
मुकम्मल मौत
ईद आने वाली ह...
हॅपी बर्थ-डे ...
वन्दे मातरम!
दुनिया, सूरज है हवा है समय है और मैं हूँ। दुनिया, सूरज है हवा है समय है और मैं हूँ।
जिसके हों परिणाम भयानक, अनुष्ठान कुछ नहीं करें जिसके हों परिणाम भयानक, अनुष्ठान कुछ नहीं करें
वो हर पल साथ हमारे थे हम ही उन्हे न पहचान सके। वो हर पल साथ हमारे थे हम ही उन्हे न पहचान सके।
काश जिंदगी एक पन्ना होती तो हम अच्छे वक़्त को जोड़ कर रखते काश जिंदगी एक पन्ना होती तो हम अच्छे वक़्त को जोड़ कर रखते
जीवन का संघर्ष है ऐसा नारियल के कवच जैसा। जीवन का संघर्ष है ऐसा नारियल के कवच जैसा।
दूर तक साथ निभाने का वादा था फिर क्यों बेसहारा रोता हमें अकेले छोड़ गई। दूर तक साथ निभाने का वादा था फिर क्यों बेसहारा रोता हमें अकेले छोड़ गई।
आडंबरों से ग्रसित था देश का मूल निवासी बहुजन। आडंबरों से ग्रसित था देश का मूल निवासी बहुजन।
आज बहनों का पूरा संसार दे दिया, बहनों की राखियों भंडार सौंप दिया। आज बहनों का पूरा संसार दे दिया, बहनों की राखियों भंडार सौंप दिया।
अपने पराये की कशमकश बेचैन करती रूह को, अपने पराये की कशमकश बेचैन करती रूह को,
सबको सताए फिर भी सबके चहेते हो मुरली मनोहर बडे साफ दिल के हो। सबको सताए फिर भी सबके चहेते हो मुरली मनोहर बडे साफ दिल के हो।
कान्हा भी राधा से मिलने को हर पल आतुर रहते हैं । कान्हा भी राधा से मिलने को हर पल आतुर रहते हैं ।
आज सुलझी है जीवन की पहेली तो क्या वह गुजरा दौर फिर याद आया। आज सुलझी है जीवन की पहेली तो क्या वह गुजरा दौर फिर याद आया।
उस गरीब मासूम की मुस्कान में छुपी दर्द भरी कहानी ! उस गरीब मासूम की मुस्कान में छुपी दर्द भरी कहानी !
कहते कुछ हैं नज़र कुछ आते हैं, मिल जो जाते हैं अजनबी चेहरे। कहते कुछ हैं नज़र कुछ आते हैं, मिल जो जाते हैं अजनबी चेहरे।
डराते थे सब, नहीं आसान है कह कर हमको, डराते थे सब, नहीं आसान है कह कर हमको,
अग्नि जैसी तासीर है जिनकी, जल जैसी शीतलता. अग्नि जैसी तासीर है जिनकी, जल जैसी शीतलता.
मोये प्रेम भयो रे साँवरे तोसे ओ यशोदा के नन्दलाला। मोये प्रेम भयो रे साँवरे तोसे ओ यशोदा के नन्दलाला।
हम पांच तत्व के वाहक हैं यहाँ हर पल गलना पड़ता है। हम पांच तत्व के वाहक हैं यहाँ हर पल गलना पड़ता है।
रसों से यूंँ भरो मांँ कंठ कोविद। मधुर रसपान देना शारदे माँ।। रसों से यूंँ भरो मांँ कंठ कोविद। मधुर रसपान देना शारदे माँ।।
जीते जी ये फ़र्ज़ निभाती आखिर ! वो बहन जो कहाती। जीते जी ये फ़र्ज़ निभाती आखिर ! वो बहन जो कहाती।