बुढ़ापा
बुढ़ापा
एक बार जो गयी जवानी
शुरू हुई तब नयी कहानी
मौत के सामने है ज़िंदगानी
इसका नाम है बुढ़ापा जानी !
गिरने लगे हैं बाल अब सरसे
यादों के यादों में अखियां ये बरसे
ज़िन्दगी से प्यार और मौत के डरसे
अपनों के प्यार को जिया ये तरसे !
धीरे धीरे चलना फिरना
कभी संभालना कभी है गिरना
छोटे काम भी मुश्किल है करना
जीवन समंदर में मुश्किल है तैरना !
कम्पे है हाथ और काम्पे है ऊँगली
चली याद्गाश मू है खाली
खाने है गाली खाने हैं गोली
आँखों की रौशनी आशाये लेली !
मात पिता है खुदा का नज़राना
जिसका दिल में हमारा ठिकाना
मेहनत का जिसपे अपना आशियाना
भूलके भी तुम उसे ना ठुकराना !
यारों मेरे आँखे खोलो
अपने मात पिताको पालो
प्यार दो उसको गले लगालो
बूढ़े बच्चों को तुम सम्भालो !