चाहत की दुनिया
चाहत की दुनिया
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ये चाहत की दुनिया निराली है यारों
कोई कुछ कहे, बस ख़याली है यारों
उमंगें हैं रौशन, जवाँ और रवाँ हैं
यहाँ रोज़ ही तो दीवाली है यारों
मुकम्मल नहीं है कोई शय यहाँ पर
ये दुनिया अधूरी है, ख़ाली है यारों
किया याद ने उनकी तनहा मुझे फिर
मुसीबत फिर इक मैंने पाली है यारों
तमाशा दिखाया है ग़ुर्बत ने मेरी
ज़ुबाँ ख़ुश्क है, पेट ख़ाली है यारों