धूप
धूप
आज सुबह मैंने आसमान को मुस्कुराते देखा,
आसमान में जो बरसा रहे मोतीयों जैसी बारिश की बुंदे,
मैंने आज उन बदलाओं को चमकाते देखा
खेल रही थी आंख मिचौली जो सूरज की किरणों के साथ,
मैंने उन हवाओं को आज लहरते देखा
कहीं फूलों संग शरारत कर रह भंवरें,
कहीं मासूम कलियों को खिलखिलाते देखा
बज उठी कानो में सात सुरों सी तान,
जब पक्षियों को मैंने चहकते देखा चहचहाते
आज सुबह मैंने आसमान को मुस्कानते देखा।