दोहे
दोहे
हाथ पांव के काम तो, करे हाथ अरु पांव।
सूरज से गर्मी मिले, तरुवर देता छांव।।
चार वर्ण निज देह में, अलग अलग हैं छेद।
कहीं प्रवेश निकास है, ##ये कैसा विभेद।।
हाथ पांव के काम तो, करे हाथ अरु पांव।
सूरज से गर्मी मिले, तरुवर देता छांव।।
चार वर्ण निज देह में, अलग अलग हैं छेद।
कहीं प्रवेश निकास है, ##ये कैसा विभेद।।