दस्तक
दस्तक
वो फिर से लगे याद आनें
जिनको भूलने में लगे जमाने,
आसमां को हवा चाहिए और
पक्षी को क्या चाहिए,
वक्त चेहरे पर क्या लिख गया
आईना देखना चाहिए।
क्यूं किनारे-किनारे चलूं
भीड़ में रास्ता चाहिए
दिल बहुत दिनों से तड़पा नहीं
जख्म कोई नया चाहिए।
वो फिर से लगे याद आनें
जिनको भूलने में लगे जमाने,
आसमां को हवा चाहिए और
पक्षी को क्या चाहिए,
वक्त चेहरे पर क्या लिख गया
आईना देखना चाहिए।
क्यूं किनारे-किनारे चलूं
भीड़ में रास्ता चाहिए
दिल बहुत दिनों से तड़पा नहीं
जख्म कोई नया चाहिए।