एक तरफा प्यार
एक तरफा प्यार
सभी को होती है,
प्यार की अभिलाषा।
पर ज़रा मुश्किल है,
एक तरफा प्यार की परिभाषा।
शायद आपको हो जिससे प्यार,
उसे हो प्यार से ही इंकार।
या जिससे हो आपको प्यार,
उसे हो किसी और से इकरार।
एक तरफा प्यार भी ना जाने,
कैसा अजीब होता है।
प्यार करने वाला,
अंदर ही अंदर बहुत रोता है।
गजब का एहसास होता है,
यह एक तरफा प्यार।
दिल और दिमाग के बीच,
करा देता है यह टकरार।
एक तरफा प्यार को,
मंज़िल नहीं मिलती।
दिल और दिमाग की,
आपस में नहीं बनती।
दिल बार-बार,
उसे ही याद करता है।
दिमाग हर बार,
उसे भूल जाने की ज़िद करता है।
एक तरफा प्यार को,
कभी ना लेना ज़बरदस्ती पाने की ठान।
प्यार तो है,
त्याग का ही दूसरा नाम।
उसकी ‘ना’ के बाद भी,
रखना उसका सम्मान।
सोच कर खुश रहना कि,
मिला तो था,
दुनिया के
सबसे खूबसूरत एहसास का वरदान।
‘उसे’ खुश देख,
‘उसकी’ खुशियों में खुश होने का,
संदेश ही तो है, यह एक तरफा प्यार।
अगर एहसास हो सच्चा,
तो इसके आगे फीकी है दौलत बेशुमार।
यदि एकतरफा प्यार को,
ना मिले मुकाम।
फिर भी रखना,
अपने प्यार पर गुमान।
भगवान की मर्ज़ी मान,
रख लेना उनके फैसले का सम्मान।
याद करना श्री कृष्ण का नाम,
श्री कृष्ण तो थे भगवान।
विधाता होकर भी,
बदल ना पाए थे विधि का विधान।
विधि का विधान।
श्री कृष्ण को थी,
राधा रानी से प्रीत।
मीरा ने माना,
श्री कृष्ण को अपना मनमीत।
श्री कृष्ण ने थामा,
रुक्मणी का हाथ।
निभाने को,
जग की रीत।
राधा रानी के लिए ही तो थे,
श्री कृष्ण की बाँसुरी के गीत 🎼
प्यार का सही अर्थ समझा गई,
राधाकृष्ण की प्रीत।
बस पाना ही है प्यार।
यही क्यों मानता है संसार?
देना सिखा दे जो प्यार,
वही तो है एक तरफा प्यार।
एक तरफा प्यार.......।