मातृ शक्ति का श्रृंगार है अंगड़ाई, पुरुषत्व जा प्रमाण है अंगड़ा ! मातृ शक्ति का श्रृंगार है अंगड़ाई, पुरुषत्व जा प्रमाण है अंगड़ा !
लकीरों में नहीं कर्म से, सींच अपने भाग्य का मंजर I लकीरों में नहीं कर्म से, सींच अपने भाग्य का मंजर I