*गजल गाया कीजिये*
*गजल गाया कीजिये*
ज़िन्दगी का राग गाया कीजिए
फूल जैसी खुशबु उड़ाया कीजिए।
ख़ुशी की ही बात करो ग़म की नहीं
दिन बहारों के बुलाया कीजिए।
मैक़दा पूरा लुटाया साकी ने
आँखों से अब ना पिलाया कीजिए।
एक तू ही नायाब हीरा है मेरा
आप मेरे रूप को सजाया कीजिए।
सबसे मिलता क्यों मिज़ाज नहीं मेरा
पास हुनर रख मनाया कीजिए।
खुद अपने सब्र पर ही हैरान हूँ
मुझसे न दामन बचाया कीजिये।
"नीतू "तेरे दीदार की आदत हो गई
रोज़ रुख़ से पर्दा हटाया कीजिए।