हैं आलम खुशियों का...
हैं आलम खुशियों का...
है आलम खुशियों का फिर भी नाशाद हूँ मैं
तनहा है दिल मगर आबाद हूँ मैं
जिंदगी तुझे क्या मैं कहूं
हाँ.. तुझसे थोड़ी खफा हूँ
शायद तुझे समझा ही नहीं
हाँ.. मैं ही तो वह बेवफा हूँ
अंधेरे में जो मिलने मुझसे आया था
वह सूरज अभी दिखा है
है आलम...
सहमा सा हैं दिल पर बुजदिल तो नहीं
हर गम यह सह जाएगा
जो भी हो गिले अपने साये के तले
खुद से ही सब कह जाएगा
हैं आलम...
हमपे हुए कुछ ऐसे सितम
कश्ती को मिले ना किनारे
मुश्किल सफर हैं जरूरी मगर हैं
मिलते नहीं यहाँ सहारे
घबराया सा मन हैं तुफ़ा हैं पवन यह
जिंदगी तेरा यह रूप दिखा हैं
हैं आलम...
फिल्म: मासूम
गीत : तुझसे नाराज़ नहीं