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Satyendra Gupta

Abstract

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Satyendra Gupta

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होली है भाई होली है

होली है भाई होली है

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होली है भाई होली है

दोस्तो की बड़ी टोली है

भांग की बड़ी गोली है

रिश्तों की हमजोली है

छोटे बडो की मीठी बोली है

होली है भाई होली है।


जब है आते होलिका दहन

लकड़ी गोइठा मांगते हर घर से हम

पूरा गांव महल्ला एकजुट होकर

बड़े बुजुर्गो का आशीर्वाद लेकर 

करते संग सब होलिका दहन

अस्त्य पे सत्य का गुणगान है करते

बुराई पे अच्छाई का पाठ है पढ़ते

बच्चे , युवा और बुजुर्गो की टोली है

होली है भाई होली है, होली है भाई होली है।


सुबह को कीचड माटी के संग 

करते मस्ती दोस्तो के संग

नाच गाकर मजे है करते

रूठो को मनाकर ,और खुद भी मानकर

सब यार हो जाते है संग संग

खुशियों का नया माहौल बनाते हैं

कीचड और होलिका राख लगाते हैं

हम सब की मस्ती वाली टोली है

होली है भाई होली है, होली है भाई होली है।


नहा धोकर हम हो जाते है तैयार

घर में बनाते पुआ पूरी और नए पकवान

बच्चे भी जब कुर्ता पायजामा पहनते है

रंगों से रंग जाए जब कपड़े

चेहरे पे रंग अबीर देखते ही बनते है

टोलियो में झाल मदिरा संग 

होली के गीत सुनते ही 

पैर थिरकने लग जाते है

जोगिरा सा रा रा गाने की टोली है

होली है भाई होली है, होली है भाई होली है।


माता पिता के पैरो पे लगाकर अबीर

पाकर आशीर्वाद धन्य हम हो जाते हैं

घर पे दोस्तो और रिश्तेदारों के संग

रंग अबीर का आनंद उठाते हैं

भाभी को लगा रंग अबीर

आशीर्वाद पाने की अजब ठिठोली है

होली है भाई होली है, होली है भाई होली है।


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